बवासीर जिसे हेमरॉइड्स के नाम से भी जाना जाता है, ये गुर्दा नहर वाले हिस्से में सूजी हुई नसें होती है। अपनी सामान्य अवस्था में, वे मल के मार्ग को नियंत्रित करने के लिए आरामदायक गद्दे की तरह काम करती है। बवासीर की समस्या का सामना महिलाओं की अपेक्षा पुरुषों को ज्यादा करना पड़ता है। और इस समस्या को लेकर पुरुष वर्ग काफी परेशान भी रहते है क्युकी इसकी वजह से उन्हें काफी एलोपैथिक दवाइयों का सेवन करना पड़ता है। पर आज के लेख के माध्यम से हम आपको बताएंगे की आप कैसे घरेलु उपचार की मदद से खुद का बचाव आसानी से कर सकते है ;
बवासीर होने के कारण क्या है ?
- बवासीर के कारणों का पता लगाना थोड़ा मुश्किल है, क्युकि इसका कोई स्पष्ट कारण सामने प्रस्तुत नहीं है। लेकिन कई महान विशेषज्ञों का कहना है कि बवासीर होने का कारण आपके खान-पान से जुड़ा होता है। अगर आप गरिष्ठ आहार लेते है, चावल की पीठी खाते है, तीखे और तेल युक्त पदार्थ का सेवन करते है, मांस, कफ पैदा करने वाले आहार और पेट में कब्ज एवं जलन पैदा करने वाले खाद्य का सेवन करते है, तो आपको बवासीर होने का खतरा हमेशा बना रहता है।
- इसके अलावा और भी कई भौतिक कारण है जो बवासीर के लिए जिम्मेदार माने जाते है। जैसे की गुदा क्षेत्र पर दबाव का बनना या लगातार एक ही जगह लंबे समय तक बैठे या खड़े रहना।
- वहीं बवासीर को पूर्ण रूप से सही करने के लिए आपको अपने खान-पान में बहुत ज्यादा सकारात्मक बदलाव लाना चाहिए।
बवासीर किसी न किसी आंतरिक समस्या के कारण होता है, इसलिए जरूरी है की अपनी समस्या के बारे में जानने के लिए आपको लुधियाना में गैस्ट्रो डॉक्टर का चयन करना चाहिए।
बवासीर के प्रकार क्या है ?
बवासीर मुख्यतः दो प्रकार के होते है, और इन प्रकारों के आधार पर आप जान सकते है की किस तरह के बवासीर का खतरा सबसे ज्यादा होता है ;
इस प्रकार के बवासीर में गुदा मार्ग में मस्से आ जाते है जो रक्त और म्यूक्स से भरे होते है। मल त्याग करते समय इनसे खून टपकता है। और कई बार जब मस्से बाहर आ जाते है तो इन्हें दबाने के बावजूद भी यह अंदर नहीं जाते है। जिससे व्यक्ति की परेशानी और बढ़ जाती है।
यह पूरी तरह से दर्द का स्रोत माना जाता है, इस प्रकार के बवासीर में मरीज को बार-बार खुजली और जलन की समस्या महसूस होती है। कब्ज होने पर या अन्य पेट संबंधी समस्या होने पर यह कष्टदायक हो जाते है, और चलने-फिरने या उठने बैठने में पीड़ा का सामना करना पड़ता है।
बवासीर के दौरान दिखने वाले लक्षण किस तरह के होते है ?
- गुदा वाले हिस्से में खुजली की समस्या का सामना करना।
- गुदा वाले हिस्से में दर्द, खासकर लंबे समय तक बैठे रहने पर।
- आपके गुदा वाले हिस्से के पास एक या ज़्यादा सख्त, कोमल गांठ का निकलना।
- आपके मलाशय से खून का रिसना। यह शौच के बाद मल, टॉयलेट पेपर या टॉयलेट बाउल में चमकीले लाल खून के धब्बों का दिखाई देना।
- मल त्याग करते समय दर्द और परेशानी का बढ़ना।
बवासीर के लक्षण दिखने पर आपको पंजाब में बवासीर का उपचार करवा लेना चाहिए।
बवासीर के लिए कौन-से घरेलु उपचार है सहायक ?
सिट्ज बाथ:
गर्म पानी से नहाना, बवासीर के कारण होने वाली जलन को शांत करता है। वहीं बवासीर में आपको सिटज़ बाथ इस्तेमाल करना चाहिए। क्युकि सिट्ज़ बाथ एक ऐसी विधि है, जिसमें एक छोटे प्लास्टिक के टब का उपयोग किया जाता है जो टॉयलेट सीट पर फिट हो जाता है ताकि आप प्रभावित हिस्से को बस उसमें डुबो सकें। इस पानी में बीटाडीन का घोल या डॉक्टर द्वारा सुझाए गए अन्य एंटीसेप्टिक घोल का उपयोग किया जा सकता है।
आइस पैक को लगाना:
एक बार में कम से कम 15 मिनट तक सूजन से राहत पाने के लिए गुदा वाले हिस्से पर आइस पैक या कोल्ड कंप्रेस लगाएं। बड़े, दर्द करने वाले बवासीर के लिए ये कोल्ड कंप्रेस दर्द से निपटने का एक बेहद असरदार उपाय है।
नारियल का तेल:
नारियल के तेल में मज़बूत एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते है जो त्वचा लाल होने और सूजन को कम कर सकते है। इसमें एनाल्जेसिक (दर्द निवारक) गुण होते है, जो बवासीर के कारण होने वाली परेशानी को कम करने में मदद कर सकते है। इसमें एंटीबैक्टीरियल (जीवाणु को मारने वाले) गुण भी होते है, जो बवासीर के लक्षणों को कम करने में मदद करते है।
व्यायाम:
बवासीर के लक्षणों को असरदार तरीके से प्रबंधित करने के लिए घर पर व्यायाम करना एक शानदार उपाय हो सकता है। नियमित पेल्विक फ्लोर एक्सरसाइज़ करना बवासीर के लिए एक बेहतरीन उपाय है। अपनी पेल्विक फ्लोर की माँसपेशियों को मज़बूत करने से, बिना ज़्यादा दबाव डाले अपनी आंत को खाली करने में आपकी मदद मिल सकती है।
तनाव प्रबंधन करना और अच्छी नींद लेना:
आराम करने और तनाव को असरदार तरीके से प्रबंधित करने के लिए एक कड़ा प्रयास करने से आंतों को अच्छी आदतें अपनाने में मदद मिलती है। रात में भरपूर नींद लेने से भी पाचन स्वास्थ्य अच्छा बनाए रखने में मदद मिलती है। ऐसा होने पर, आँतों से मल भी आसानी से होकर जा पाता है।
हाइड्रेशन:
भरपूर पानी और फलों के रस जैसे अन्य स्वस्थ तरल पीने से आपकी आंत कम शुष्क होती है। जब आपका शरीर अच्छी तरह से हाइड्रेटेड होता है, तो आपका पाचन स्वास्थ्य बेहतर होने लगता है, जिससे आपको मल त्याग के दौरान दबाव कम डालना पड़ता है।
ज़्यादा फाइबर वालें आहार:
भरपूर मात्रा में अघुलनशील और साथ ही घुलनशील फाइबर वाला संतुलित आहार लेने से आपको नियमित रूप से मलत्याग करने में मदद मिलेगी। अघुलनशील फाइबर आपके मल का वज़न बढ़ाते है, जिससे आपको मल त्यागने के दौरान ज़ोर कम लगाना पड़ता है। फाइबर को आंतों को स्वस्थ रखने में मदद करने के लिए भी जाना जाता है।
लहसुन का उपयोग :
- लहसुन में पाए जाने वाले एंटी-इंफ्लेमेटरी और एंटी-बैक्टीरियल गुण बवासीर के चलते होने वाले दर्द को और सूजन को कम करते है। इसे इस्तेमाल करना बेहद आसान है और इसे दो तरह से इस्तेमाल किया जा सकता है। अगर बवासीर गुदा मार्ग के बाहर है तो आप लहसुन की चार कलियों को कूटकर एक गिलास पानी में मिलाएं, अब इस पानी को आप गैस पर तब तक उबालें जब तक पानी का रंग पूरी तरह से बदल न जाए।
- फिर अब आप एक सूती कपड़े को इस पानी में भिगो दें और उस कपड़े को अपने मस्से वाले स्थान पर 15 मिनट के लिए लगाकर छोड़ दें, ऐसा दिन में आप दो बार कर सकते है।
- वहीं अगर बवासीर गुदा मार्ग के भीतर या गुदा मार्ग में ही है, तो आपको लहसुन की कुछ कलियों से ज्यूस निकालना है और उस ज्यूस को गुदा मार्ग के भीतर सोने से पहले डालना है। ऐसा करने से दर्द और सूजन काफी हद तक कम हो जाते है।
बवासीर के इलाज के लिए बेस्ट सेंटर !
आप अगर चाहते है की आपको बवासीर का इलाज मिल सके तो इसके लिए आपको लुधियाना गैस्ट्रो एन्ड गयने सेंटर का चयन करना चाहिए। पर साथ ही आपको क्यों इस सेंटर का चयन करना चाहिए, इसके बारे में जानना भी जरूरी है, जैसे ;
अनुभवी डॉक्टर :
जी हां इस सेंटर में मरीजों का इलाज अनुभवी डॉक्टरों के द्वारा किया जाता है, जिससे मरीज को अपनी समस्या का समाधान भी आसानी से मिल जाता है।
आधुनिक उपकरण का चयन करना :
इस सेंटर में मरीजों की जाँच या फिर उनके इलाज के लिए उपयोग किए जाने वाले उपकरण बिलकुल सही और सुचारु रूप से कार्य करते है।
दवाई में छूट का मिलना :
जी हां, अगर आप इस सेंटर से अपना इलाज करवाते है, तो आपको 30 प्रतिशत तक की छूट भी मिलती है अपने इलाज को लेकर।
निष्कर्ष :
बवासीर का इलाज करने के लिए कई घरेलू इलाज मौजूद है। वहीं मरीज बिना किसी हिचकिचाहट के इनका इस्तेमाल कर सकते है, लेकिन इस्तेमाल करने से पहले उन्हें अपने डॉक्टर या वैद्य से इस बारे में अवश्य परामर्श लेना चाहिए। क्युकी अपने मन मुताबिक किसी भी घरेलू उपाय का इस्तेमाल करना खतरनाक साबित हो सकता है।