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गर्भवती महिला के लिए कैसे जरूरी है डबल मार्कर टेस्ट (Double Marker Test), जानिए क्या है इसकी प्रक्रिया, परिणाम व लागत

गर्भावस्था के दौरान मां और बच्चे के बेहतर भविष्य और स्वास्थ्य को देखते हुए कई प्रकार के मेडिकल टेस्ट का सहारा लिया जाता है। वहीं इन मेडिकल टेस्ट को दो वर्गों में बांटा जाता है। पहले वर्ग में वो सभी टेस्ट आते है, जो जच्चे और बच्चे की सेहत के लिहाज से बेहद जरूरी माने गए है। 

वहीं, दूसरे वर्ग में उन टेस्ट को शामिल किया गया है, जिन्हें डॉक्टर भविष्य में आने वाली किसी परेशानी की आशंका के मद्देनजर कराने की सलाह देते है और डबल मार्कर टेस्ट भी इसी लिए ही करवाए जाते है, तो आज के लेख में भी हम इस टेस्ट के बारे में तमाम जानकारी आपके साथ सांझी करेंगे ;

क्या है डबल मार्कर टेस्ट (Double Marker Test) ?

  • डबल मार्कर टेस्ट की बात करें, तो यह गर्भधारण की पहली तिमाही पर किया जाने वाला रक्त परीक्षण है। खास यह है कि डबल मार्कर टेस्ट नॉन-इनवेसिव स्क्रीनिंग यानि की बिना किसी कट मार्क के किया जाने वाला परीक्षण है। 
  • वहीं इस टेस्ट के जरिए डाउनग्रेड सिंड्रोम, एडवर्ड सिंड्रोम और पटाउ सिंड्रोम जैसे क्रोमोसोम (गुणसूत्र) का पता लगाया जाता है। क्रोमोसोम में किसी प्रकार की कमी होने पर भ्रूण के विकास में बाधा आ सकती है या फिर जन्म के बाद भविष्य में शिशु को किसी प्रकार की स्वास्थ्य समस्या का सामना करना पड़ सकता है। 
  • वहीं कई सारे जीन के समावेश को क्रोमोसोम यानी गुणसूत्र के नाम से भी जाना जाता है।

यदि आप डबल मार्कर टेस्ट करवाने के बारे में और विस्तार से जानना चाहते है तो इसके लिए आपको बेस्ट गायनोलॉजिस्ट डॉक्टर का चयन करना चाहिए।

किन्हे होती है डबल मार्कर टेस्ट की जरूरत ?

  • गर्भवती महिलाएं जो एक विशेष प्रकार के खतरे के अंतर्गत आती है, उन्हें पहले ट्राइमेस्टर में प्रेग्नेंसी डबल मार्कर टेस्ट से होकर गुजरना पड़ सकता है। 
  • इसके अलावा जिन महिलाओं में निम्न बातें नज़र आए उसके लिए उन्हें डबल मार्कर टेस्ट को जरूर कराना चाहिए, जैसे –
  • अगर कोई महिला 35 वर्ष या इससे अधिक उम्र के बाद गर्भवती हुई है, तो उन्हे इस टेस्ट का चयन करना चाहिए। 
  • पिछला शिशु जो गुणसूत्रीय समस्या के साथ पैदा हुआ हो। 
  • अनुवांशिक दोष भी आपको इस टेस्ट को करवाने की तरफ लें जा सकते है।  
  • टाइप-1 डायबिटीज से संबंधित इंसुलिन की समस्या का सामना कर रहीं महिलाएं को भी इस टेस्ट का चयन करना चाहिए।
  • बहुत सी महिलाओं के मन में ये बात बैठी हुई है की डबल मार्कर टेस्ट में काफी पीड़ा का सामना करना पड़ सकता है जिसके चलते वो इस टेस्ट को करवाने से मना कर देती है लेकिन आपको बता दें की ये टेस्ट पेनलेस टेस्ट की कैटेगरी में शामिल है।

डबल मार्कर टेस्ट की प्रक्रिया क्या है ?

  • यह एक ऐसा ब्लड टेस्ट है, जिसे गर्भावस्था के दौरान होने वाले अल्ट्रासाउंड के साथ किया जाता है। 
  • इस टेस्ट की सहायता से चिकित्सक गर्भवती महिला के खून की जांच करके उसमें उपस्थित हार्मोन और प्रोटीन की जांच करते है। 
  • बता दें कि इस जांच में जिस हार्मोन की जांच की जाती है, उसे फ्री बीटा एचसीजी के नाम से संबोधित किया जाता है। 
  • वहीं, जांच में शामिल किए जाने वाले प्रोटीन की बात की जाए, तो इस टेस्ट के दौरान ग्लाइकोप्रोटीन और पीएपीपी-ए (प्रेगनेंसी एसोसिएटेड प्लाज्मा प्रोटीन) का परीक्षण किया जाता है।

डबल मार्कर टेस्ट की लागत क्या है ?

  • इसकी शुरुआती लागत की बात करें तो ये 2,500 से लेकर 3,500 के आस-पास आती है। 
  • वहीं इसकी लागत इस बात पर भी निर्भर करती है कि आप कहाँ रहते है और कौन-से हॉस्पिटल का चयन करते है।

डबल मार्कर टेस्ट के क्या परिणाम है ?

  • डबल मार्कर टेस्ट के परिणाम भविष्य में होने वाले डाउन सिंड्रोम से संबंधित गंभीर जोखिमों को दर्शाते है। इन्हें कुछ इस तरह से समझा जा सकता है, जैसे अगर की गई जांच में फ्री बीटा एचसीजी की मात्रा सामान्य सीमा से अधिक पाई जाती है, तो इसे पॉजिटिव मार्कर माना जाता है। इसका मतलब यह हुआ कि गर्भवती में डाउन सिंड्रोम होने की आशंका अधिक हैं। 
  • वहीं, दूसरी स्थिति में पीएपीपी-ए की मात्रा सामान्य से कम मापी जाती है, तो यह स्थिति भी डाउन सिंड्रोम के लिए पॉजिटिव परिणाम के तौर पर देखी जाती है।

सुझाव :

आप चाहे तो डबल मार्कर टेस्ट की जाँच को लुधियाना गैस्ट्रो एन्ड गयने सेंटर से भी करवा सकते है। 

निष्कर्ष :

डबल मार्कर टेस्ट को करवाना हर गर्भवती महिला के लिए बहुत जरूरी है, वहीं इस जाँच को डॉक्टर के सलाह पर ही करवाए, और खुद की मर्ज़ी से ऐसी अवस्था में इस जाँच का चयन आपको नहीं करना चाहिए।