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महिलाओं को अपने शरीर में होने वाले दिक्कतों को क्यों नहीं करना चाहिए नज़रअंदाज़ ?

महिलाएं जो अक्सर घर के काम-काज में इतना व्यस्त हो जाती है की उन्हें कई दफा अपने शरीर में आए बदलाव का भी ध्यान नहीं रह जाता है जिसके चलते उन्हें आगे चल के काफी परेशानियों का भी सामना करना पड़ सकता है, तो वहीं कुछ महिलाओं को पता ही नहीं होता की उन्हें किस तरह की परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इसके अलावा आज के लेख में हम बात करेंगे की कौन-सी समस्याएं महिलाओं के शरीर में उत्पन्न होती है जिन्हे वे अकसर नज़रअंदाज़ कर देती है ;

महिलाओं के शरीर में बीमारियां कौन-सी हो सकती है ?

निम्न में हम कुछ ऐसी महिलाओं की बीमारियां के बारे में बात करेंगे, जिससे वो अक्सर नज़रअंदाज़ रहती है, जैसे-

  • एनीमिया की समस्या। 
  • पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम या पॉलीसिस्टिक ओवरी डिजीज की समस्या आम-तौर पर तब होती है, जब कोई महिला गर्भवती होने की कोशिश कर रही होती है, और वही ये एक हार्मोनल इंबैलेंस है, जिसका प्रभाव मेटाबोलिक हेल्थ पर पड़ता है। 
  • मेनोपॉज एक महत्वपूर्ण हार्मोनल चेंज है, जो सभी महिलाओं में होता है, इसमें फीमेल हार्मोन यानी एस्ट्रोजन कम हो जाता है। जिससे दिल की बीमारी के खिलाफ इसकी प्रोटेक्टिव एक्टविटी भी कम हो जाती है। 
  • महिलाओं में हड्डियों का स्वास्थ्य यानी बोन हेल्थ 30 के दशक में बिगड़ना शुरू हो जाता है, इसलिए हड्डियों की मजबूती बनाए रखने के लिए पर्याप्त मात्रा में कैल्शियम के सेवन के साथ-साथ एक्सरसाइज करना जरूरी है। वही डेयरी प्रोडक्ट कैल्शियम का सबसे अच्छा विकल्प माना जाता है, जैसे दूध, दही, पनीर आदि।

अगर आपको अपने शरीर में इस तरह की बीमारियां नज़र आ रहीं है, तो इससे बचाव के लिए आपको बेस्ट गायनोलॉजिस्ट का चयन करना चाहिए।

कौन-सी दिक्कतों को महिलाएं न करें नज़रअंदाज़ !

  • पीरियड्स के दौरान दर्द का होना, तो कुछ महिलाओं को पीरियड्स के दौरान बहुत तेज दर्द होता है, इसे डिसमेनोरिया कहा जाता हैं। यदि इस दर्द की वजह से महिलाएं अपना काम नहीं कर पा रही हैं और इससे उनके जीवन में काफी परेशानियां हो रही है, तो उन्हें इसकी जांच करानी चाहिए। वही इलाज शुरू करने से पहले इसके लिए क्लीनिकल जांच और पेल्विक सोनोग्राफी की आवश्यकता होती है। 
  • दूसरी दिक्कत वेजाइनल इंफेक्शन या वेजाइना के मुख के पास की त्वचा में फोड़े होने के कारण हो सकता है, वही यह समस्या कभी-कभी वेजाइनल डिस्चार्ज या खुजली भी हो सकती है। 
  • कई दफा मूत्र रिसाव की परेशानी के कारण महिलाएं काफी शर्मिंदगी महसूस करती है, यही वजह है की, अधिकांश महिलाओं को मूत्र रिसाव के बारे में खुल कर बात करने में कठिनाई होती है। यह आमतौर पर खांसते या छींकते या एक्सरसाइज करते समय होता है।
  • सेक्स के दौरान ब्लीडिंग या तेज दर्द का होना जिसे महिलाओं के द्वारा अक्सर नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है, जो बाद में चल कर उनके सेहत पर काफी बुरा प्रभाव डालती है।

यदि महिलाएं इन समस्याओं को ध्यान में रखें तो उन्हें आगे चल कर किसी भी तरह की समस्या का सामना नहीं करना पड़ता वही गर्भावस्था के दौरान उनकी पेनलेस नार्मल डिलीवरी भी होती है।

सुझाव :

 इसके अलावा महिलाओं को अपनी समस्या को महिला डॉक्टर के सामने खुल कर बताना चाहिए ताकि उन्हें किसी भी तरह की समस्या का भविष्य में चल कर सामना न करना पड़े।  

निष्कर्ष :

महिलाओं को अपनी समस्या को खुल कर बताने में शर्माना नहीं चाहिए फिर चाहें डॉक्टर महिला हो या पुरुष।