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एंडोस्कोपी (Endoscopy) क्या है, इसकी जरूरत क्यों पड़ती है और कितना खर्चा आता है?

एंडोस्कोपी (Endoscopy)  क्या है ?

एंडोस्कोपी (Endoscopy)  क्या है, इसकी जरूरत क्यों पड़ती है का वर्णन आज हम इस लेखन में करेंगे-

  • बता दे कि एंडोस्कोपी (Endoscopy) एक ऐसा मेडिकल प्रोसेस है जिसमें डॉक्टर एक मशीन की मदद से किसी व्यक्ति के शरीर में क्या चल रहा है ये देखने में समर्थ होते है। यह एक बहुत ही जटिल और गंभीर स्थिति होती है। हालांकि इसे करने में ज्यादा समय भी नहीं लगता है।
  • एंडोस्कोप एक पतली,लंबी और लचीली ट्यूब होती है, जिसके सिरे पर लाइट और एक सिरे पर कैमरा लगा होता है। इस लाइट और कैमरे की मदद से ही तस्वीरें खींची जाती है और कंप्यूटर स्क्रीन पर इसे आसानी से देख सकते है। 

एंडोस्कोप की जरूरत क्यों पड़ती है ?

  • जब किसी व्यक्ति को शरीर के अंदरूनी अंगों में किसी तरह की समस्या हो रही होती है, उस स्थिति में बीमारी का पता लगाने के लिए एंडोस्कोपी का उपयोग किया जाता है। 
  • तो वहीं जब एक्स-रे में किसी अंग की स्पष्ट रिपोर्ट नहीं आ पाती है, तब भी एंडोस्कोपी की जरूरत पड़ती है।
  •  गुदा कैंसर या बड़ी आंत की स्थिति के दौरान भी एंडोस्कोपी की जाती है, और इसमें कोलोनोस्कोपी भी की जाती है, जो एंडोस्कोपी का ही एक भाग माना जाता है।

एंडोस्कोपी (Endoscopy) के बाद क्या किया जाता है ?

एंडोस्कोपी के बाद निम्नलिखित बातों को ध्यान में रखने की जरूरत पड़ सकती है –

  • एंडोस्कोपी के बाद व्यक्ति को कम से कम एक घंटे की नींद लेनी चाहिए, ताकि उसको जो दवाइयां दी गई है उसका असर उतर जाए। 
  • जरूरत पड़ने पर ही मरीज़ को दर्द निवारक दवाइयां देनी चाहिए। 
  • अगर व्यक्ति को जनरल अनेस्थेटिक की दवा दी गई है तो मरीज़ को खास निगरानी की जरूरत पड़ सकती है। 
  • सीडेटिव (दर्द निवारक दवाओं) का असर जब तक नहीं होता तब तक के लिए मरीज़ को एक व्यक्ति की निगरानी और सहायता की जरूरत पड़ सकती है।  

यदि आपको पेट के अंधरुनि दिक्तो का सामना करना पड़ रहा है तो इसके लिए आप गैस्ट्रो डॉक्टर लुधियाना से इसका इलाज करवा सकते है। 

एंडोस्कोपी (Endoscopy) की जाँच में कितना खर्चा आता है ?

एंडोस्कोपी (Endoscopy) का खर्चा हॉस्पिटल और जगह के हिसाब से आता है, जिनका वर्णन हम निम्न में प्रस्तुत कर रहें है -जैसे

  • जिस हॉस्पिटल में अच्छे उपकरण होंगे और हॉस्पिटल अगर बढ़ा होगा तो एंडोस्कोपी की जाँच का खर्चा भी उतना ही आएगा। 
  • तो वहीं निजी अस्पताल में इसका खर्चा तक़रीबन ₹5000 से ₹10000 हजार रुपए तक का आता है। बता दें कि एंडोस्कोपी जांच के माध्यम से खाने की नलकी या पेट के कैंसर का पता भी लगाया जाता है।

यदि आप एंडोस्कोपी की जाँच करवाने के बारे में सोच रहे हो तो पंजाब में एंडोस्कोपी की कीमत का पता जरूर लगाना। 

सुझाव :

यदि आप अंधरुनि समस्या के बारे में और अच्छे से जानना चाहते है तो बिना समय गवाए लुधियाना गैस्ट्रो गायने सेंटर का चयन करें क्युकि यहाँ पर एंडोस्कोपी का जाँच काफी अच्छे से और किफायती दाम पर किया जाता है। और जाँच के बाद जो बीमारी निकल कर सामने आती है उसका इलाज भी अच्छे से यहाँ के अनुभवी डॉक्टरों के द्वारा किया जाता है। 

निष्कर्ष :

यदि आपको किसी भी तरह की कोई अंधरुनि परेशानी है तो ज्यादा समय न बर्बाद करते हुए एंडोस्कोपी (Endoscopy) की जाँच करवाए ताकि असली बीमारी का पता लगाया जा सके और जड़ से उस बीमारी का खात्मा किया जाए।

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क्या है बवासीर और जानिए की ये कितने ग्रेड या स्टेज से होकर गुजरते है ?

बवासीर की समस्या काफी गंभीर मानी जाती है, क्युकी इसके कारण व्यक्ति का उठना, बैठना कुछ भी खाना काफी मुश्किल हो जाता है। पर इस समस्या का उपचार करने से पहले उसके ग्रेड, प्रकार या स्टेज के बारे में जानना बहुत जरूरी है। वहीं बवासीर की सर्जरी के लिए किस प्रक्रिया का चयन किया जाना चाहिए और किस ग्रेड तक की बवासीर के लिए लेजर सर्जरी पर्याप्त है आदि कई चीजें बवासीर के स्टेज यानी ग्रेड पर निर्भर करता है। तो आज के लेख के माध्यम से हम जानेंगे की बवासीर के स्टेज को कैसे पहचाने और इससे कैसे खुद का इलाज कर सकते है ;

क्या है बवासीर की समस्या ?

  1. पाइल्स को बवासीर के नाम से भी जाना जाता है, पाइल्स होने पर मरीज के एनस (गुर्दे) के बाहर और अंदर के हिस्से में सूजन आ जाती है इसके अलावा कई बार मल त्यागते समय खून निकलने के साथ ही दर्द का सामना भी करना पड़ता है. यह समस्या होने पर मल त्यागते समय और बैठते समय काफी ज्यादा परेशानी होती है। 
  2. बवासीर की शुरुआती अवस्था में, लोगों को गुदा क्षेत्र में दर्द, खुजली और सूजन जैसे लक्षणों का सामना करना पड़ता है। 

बवासीर के ग्रेड (स्टेज) और लक्षण क्या है ?

बवासीर की बात करें तो आमतौर पर लोग बवासीर के प्रकार और स्टेज को एक समझते है, जबकि दोनों चीजों के बीच जमीन और आसमान का अंतर है। वहीं बवासीर के चार प्रकार होते है – 

1, बाहरी बवासीर, 2. आंतरिक बवासीर, 3. प्रोलैप्सड बवासीर, 4. थ्रोम्बोस्ड बवासीर। तो चलिए जानते है, की इन बवासीर होने के दौरान व्यक्ति में किस तरह के लक्षण नज़र आते है ; 

बवासीर ग्रेड के प्रकार ;

ग्रेड-1 में अभी बवासीर की शुरुआत ही होती है। ग्रेड-1 की बवासीर सामान्य होती है, इसमें कोई गंभीर लक्षण नहीं दिखाई देते। इसलिए इसे आप पानी पीकर, कब्ज में नियंत्रण पाकर और अन्य घरेलू नुस्खे का उपयोग करके ठीक कर सकते है।

ग्रेड-1 बवासीर के दौरान दिखने वाले लक्षण ;

  • मलत्याग के समय अटपटा लगना और ऐसा महसूस होना जैसे नसें सूजी हुई हो।
  • मलत्याग के समय सामान्य खुजली की समस्या का भी आपको सामना करना पड़ सकता है।

ग्रेड-2 की बवासीर में आपके शौंच के दौरान बवासीर के मस्से बाहर आते है और शौंच के उपरान्त खुद ही अंदर चले जाते है। यदि यह बवासीर शुरुआती स्टेज में है तो यह कुछ क्रीम, दवाइयां और घरेलू नुस्खे से ख़त्म किया जा सकता है।

ग्रेड-2 बवासीर के दौरान दिखने वाले लक्षण ;

  • चलने और बैठने में हल्के दर्द का अनुभव होना।
  • मल त्याग के दौरान हल्की-फुल्की ब्लीडिंग हो सकती है और दर्द हो सकता है।
  • गुदा क्षेत्र के आसपास खुजली का होना। 

ग्रेड-3 की बवासीर में शौच के दौरान बाहर आने वाले मस्से उँगलियों से धकेलने पर गुदा के अंदर चले जाते है, इसका उपचार करने के लिए लेजर सर्जरी का चयन करना जरूरी हो जाता है।

ग्रेड-3 बवासीर के दौरान दिखने वाले लक्षण ;

  • गुदा क्षेत्र से पस या हल्के रंग के रक्त डिस्चार्ज का होना। 
  • चलने या बैठने में असहनीय तेज दर्द का होना।
  • मलत्याग के समय असहनीय दर्द का होना।

ग्रेड-4 की बवासीर में मस्से हमेशा बाहर लटके रहते है और तेज दर्द देते है। ग्रेड-4 की बवासीर का उपचार करने के लिए ज्यादातर डॉक्टर ओपन सर्जरी की सलाह देते है। और इस स्टेज के लिए सर्जरी बहुत जरूरी है। 

ग्रेड-4 बवासीर के दौरान दिखने वाले लक्षण ;

  • किसी भी कार्य को करने के दौरान गुदा क्षेत्र में दर्द का होना।
  • मलत्याग में तेज ब्लीडिंग होना और बहुत अधिक दर्द का होना।
  • उठते या बैठते और बैठे-बैठे तेज दर्द का होना।
  • मस्सों का आकार बहुत बढ़ जाना आदि।

बवासीर के स्टेजों को जानकर आप पंजाब में बवासीर का उपचार करवा सकते है।

बवासीर होने के क्या कारण है ?

  • मल त्याग करते समय जोर लगाना। 
  • अस्थायी जीवनशैली के कारण बवासीर का होना। 
  • आहार में फाइबर की कमी का होना।
  • मोटापे के कारण। 
  • गर्भावस्था के दौरान भी बवासीर की समस्या हो सकती है। 

बवासीर के कारण अगर आप गुर्दे की समस्या का पहचान करना चाहते है, तो इसके लिए आपको लुधियाना में गैस्ट्रो डॉक्टर का चयन करना चाहिए।

बवासीर का उपचार कैसे किया जाता है ?

  • बवासीर का इलाज स्थिति के प्रकार और गंभीरता पर निर्भर करता है। मतलब की आपका बवासीर कितने स्टेज पर है उस स्टेज के लक्षणों को जानने के बाद उसका इलाज किया जाता है। सामान्य मामलों में उच्च फाइबर आहार लेना, शरीर में पानी की मात्रा बनाए रखना और नियमित व्यायाम करना जैसी जीवनशैली में परिवर्तन करने से बवासीर की समस्या को हल किया जा सकता है। 
  • वहीं खुजली और असहजता जैसे सामान्य लक्षणों का इलाज क्रीम और उबटनों के इस्तेमाल से किया जा सकता है। और गंभीर स्थितियों में चिकित्सा उपचार की आवश्यकता हो सकती है।

सुझाव :

बवासीर की समस्या काफी गंभीर मानी जाती है, इसलिए जरूरी है की इसके शुरुआती स्टेज को जानने के बाद आपको इसके इलाज के लिए लुधियाना गैस्ट्रो एन्ड गयने सेंटर का चयन करना चाहिए। और अगर आपके द्वारा इसके शुरुआती स्टेज या लक्षण पर ध्यान नहीं दिया जाता है, तो आपको सर्जरी की प्रक्रिया से होकर भी गुजरना पड़ सकता है। 

निष्कर्ष :

बवासीर की समस्या को कृपया नज़रअंदाज़ न करें वर्ना आगे चल के आपकी समस्या और भी बढ़ सकती है और साथ ही इसके इलाज के लिए किसी भी तरह के उपाय को अपनाने से पहले एक बार डॉक्टर से जरूर सलाह लें।

अकसर पूछे जाने वाले प्रश्न !

बवासीर का स्थायी चिकित्सा इलाज क्या है ?

बवासीर के इलाज के लिए आपको थोड़े से एलोवेरा जेल में एक चम्मच हल्दी पाउडर मिलाना है, फिर रात मैं नियमित रूप से सोने के समय आपको अपनी गुर्दे पर बवासीर वाली जगह पर इस लेप को लगाना है, दो हफ्तों तक लगातार ऐसा करें इससे आपको बवासीर से जल्द ही राहत मिलेगा।

बवासीर से जुड़ी सभी बातें क्या है ?

  1. आपको दर्द से राहत पाने के लिए उस क्षेत्र को लगातार पोंछने से बचना चाहिए क्योंकि इससे और अधिक जलन होती है। 
  2. बाहरी बवासीर को “छेद” न करें, यदि बाहरी बवासीर के अंदर एक थक्का बन जाता है, तो यह कष्टदायी हो सकता है। थक्का गुर्दे के पास गांठ का कारण बन सकता है।
  3. वहीं बवासीर में आपको अपने खान-पान का अच्छे से ध्यान रखना चाहिए।

क्या केला बवासीर के लिए अच्छा है ?

बवासीर से छुटकारा पाने के लिए केले का उपयोग सहायक माना जाता है। वहीं केले के तने के रस में त्वचा को सिकोड़ने वालें गुण मौजूद होते है, जो बवासीर के मस्सों को सिकोड़ने का काम करते है। इसे उपयोग करने के लिए आप केला की पतली टहनी को काटे और उससे निकलने वाले द्रव्य को बवासीर के मस्सों पर लगाएं।

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What Are the Major Causes Which Lead To Abdominal Pain, and How Is It Treated?

The abdominal area holds a significant place in performing regular activities every day. But sometimes, due to various reasons, Pain occurs in the abdomen. That can be a sign which indicates a serious disease. Sometimes it is a minor pain, but in some cases, it needs surgery to cure it.

Here are some reasons that lead to abdominal Pain:

Infection in the urinary tract.

Experienced Pain in the lower abdomen while urinating or bloating, which causes pressure and Pain in the bladder as the bacteria that cause infections attack the bladder the most, sometimes resulting in cloudy urine.

Maybe you are facing a chronic condition.

A chronic condition like Gastroesophageal reflux disease can be caused by Pain in the upper abdomen as it causes reflux, an acid in which the substance in your stomach gets back to the esophagus, leading to cramps that cause chronic abdominal Pain. To correct this condition, you need the assistance of the Best Urologist , who can quickly cure the situation and help you get back to normal activities.

Stomach flu can be the reason.

In clinical words, it is known as Gastroenteritis, caused by eating spoiled food. Nausea, Abdominal cramping, Vomiting, Bloating, and it also causes Pain in the center of the abdomen are some of the symptoms of stomach flu. Minor medications are required in extreme cases; otherwise, they resolve independently.

The most common one is Food intolerance.

It happens when the food is not adequately digested and gets built up then it causes bloating, which results in abdominal Pain. Some people experience it after consuming coffee, as it is also the reason for the discomfort in the stomach.

Excessive alcohol can be the cause of Gastritis

Excessiveness of anything can be dangerous. This fact is intact with the situation of Gastritis. It is caused due to overdose of alcohol as it results in bloating, abdominal Pain, and a painful gnawing feeling in the stomach which can turn to be chronic over time if you do not immediately control your alcohol consumption.

Another common reason is constipation.

According to an American study, this is the most common digestive issue individuals repeatedly face when they do not have enough fiber in their diet, as that can cause the build-up of waste in the bowels that leads to Pain in the abdomen. These are some of the common ways advised to you by the Best Urologist to get rid of abdominal Pain. Firstly, they will recommend you stay hydrated and not unnecessarily consume food that disturbs your stomach.

  • To give you relief from indigestion, they suggest you take antacids; also, they help in coping with the situation of reflux or GERD. 
  •  Antibiotics are suggested, To correct infections due to bacteria, 
  • Painkillers are advised to reduce the intensity of the Pain in the abdomen. 
  • Doctors advise you to perform daily exercises and help you make a diet plan which reduces the chances of abdominal Pain.
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एंडोस्कोपी कराने के क्या है – कारण, तरीके, फायदे और नुकसान ?

एंडोस्कोपी आपके शरीर के आंतरिक अंगों की अच्छे से जाँच करके आपकी बीमारी के बारे में पता करती है और साथ ही आपके परेशानी का हल भी करती है पर क्या है आप जानते है की एंडोस्कोपी के फायदे के साथ इसके कुछ नुकसान भी है। इसके अलावा एंडोस्कोपी को किन कारणों से करवाया जाता है, इसके बारे में चर्चा करेंगे ;

क्या है एंडोस्कोपी ?

  • एंडोस्कोपी जिसका खासतौर पर अर्थ होता है चिकित्सीय कारण और एंडोस्कोप की मदद से शरीर के अन्दर देखना। एंडोस्कोप एक ऐसा उपकरण है, जिसका प्रयोग शरीर के खोखले अंग अथवा छिद्रों के अन्दर जाँच करने के लिए किया जाता है।
  • शरीर के आंतरिक अंगों और उतकों को विस्तार से देखने के लिए शरीर में एक लंबा और पतला ट्यूब सीधे प्रवेश कराया जाता है, इस प्रक्रिया को एंडोस्कोपी कहते है। इस प्रक्रिया से शरीर में चीरा लगाए बिना शरीर के अंगों में उत्पन्न हो रही बीमारियों और समस्याओं का पता लगाया जाता है। 
  • एंडोस्कोपी एक पतला और लचीला ट्यूब होता है जिसके ऊपर कैमरा लगा होता है। 
  • इस उपकरण को मरीज के मुंह और गले से गुजारकर भोजन नली में प्रवेश कराया जाता है। 

अगर आपको अपने शरीर के आंतरिक अंगों की जाँच को करवाना है तो इसके लिए आप लुधियाना में गैस्ट्रो डॉक्टर का चयन भी कर सकते है।

एंडोस्कोपी का चयन क्यों किया जाता है ?

  • पेट दर्द के कारणों का पता लगाने के लिए।
  • अल्सर, गैस्ट्रिटिस और कुछ निगलने में कठिनाई होने पर।
  • पाचन तंत्र में ब्लीडिंग होने पर।
  • गंभीर रूप से डायरिया और कब्ज होने पर।
  • कोलन में पॉलिप्स या उभार हो जाने पर।
  • पेट के अल्सर, पित्ताशय की पथरी और ट्यूमर को निकालने के लिए।
  • पैन्क्रियाटिटिस और पेट में सूजन होने पर।
  • अल्सरेटिव कोलाइटिस के निदान के लिए।
  • योनि से असामान्य रूप से ब्लीडिंग होने पर।
  • पेशाब में खून आने पर।
  • पाचन तंत्र से जुड़ी बीमारियां होने पर।
  • हार्निया के निदान के लिए।
  • संक्रमण होने पर।

एंडोस्कोपी किन तरीकों से किया जाता है !

  • डॉक्टर उस मॉनीटर पर मरीज के सांस की गति, ब्लड प्रेशर और ह्रदय गति की निगरानी करते है। इसके बाद डॉक्टर मरीज को दवा देते है। 
  • यह दवा बांह की नस में दी जाती है जो एंडोस्कोपी के दौरान मरीज को दर्द से राहत दिलवाती है।
  • इसके बाद डॉक्टर मरीज के मुंह में एनेस्थेटिक स्प्रे छिड़कते हैं। यह दवा गले को सुन्न कर देती है और इससे लंबे समय तक एक लचीला ट्यूब या एंडोस्कोप गले में प्रवेश कराये रखने में मदद मिलती है। 
  • मुंह को खुला रखने के लिए मरीज के मुंह में एक प्लास्टिक माउथ गार्ड पहना दिया जाता है। इसके बाद एंडोस्कोप को गले के अंदर डाला जाता है और डॉक्टर मरीज को गले के नीचे एंडोस्कोप को खिसकाने के लिए कहते है। इस दौरान मरीज को गले में हल्का दबाव महसूस होता है लेकिन उसे दर्द नहीं होता है।

यदि आपको बड़ी आंत में किसी तरह की परेशानी है तो इससे बचाव के लिए आपको लुधियाना में कोलोनोस्कोपी का चयन करना चाहिए।

एंडोस्कोपी के क्या फायदे है ?

  • एंडोस्कोपी कराने का सबसे बड़ा फायदा यह है कि अन्य टेस्ट के बजाय यह कम आक्रामक होता है।
  • यह टेस्ट कराने के लिए कम से कम तैयारी की जरूरत पड़ती है और समय भी कम लगता है।
  • हालांकि इस एंडोस्कोपी टेस्ट कराने के अंतिम रात के बाद कुछ खाना मना होता है जिससे पेट खाली रहता है और रोग का पता सही तरीके से चल पाता है।

एंडोस्कोपी टेस्ट के नुकसान क्या है ?

  • एंडोस्कोपी के बाद मरीज के शरीर में ऐंठन और शरीर में सूजन हो सकती है।
  • एनेस्थेसिया दिए जाने के कारण मरीज का गला कई घंटों तक सुन्न रह सकता है।
  • परीक्षण वाले स्थान पर संक्रमण होने का खतरा बना रहता है।
  • जिस जगह पर एंडोस्कोपी की जाती है वहां लगातार दर्द बना रह सकता है।
  • एंडोस्कोपी कराने के बाद मरीज को आंतरिक ब्लीडिंग भी हो सकती है।
  • मरीज के मल का रंग अधिक गहरा हो सकता है आदि।

एंडोस्कोपी की जाँच के लिए बेस्ट सेंटर !

आप चाहे तो एंडोस्कोपी की जाँच लुधियाना गैस्ट्रो एवं गयने सेंटर से भी करवा सकते है।

निष्कर्ष :

शरीर की आंतरिक समस्या के बारे में जानने के लिए आप समय-समय पर एंडोस्कोपी की जाँच को करवाते रहें ताकि आपको किसी भी तरह की समस्या का सामना न करने पड़े।

 

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आंतों से जुडी बीमारी के संकेतों को जानकर कैसे करें खुद का बचाव

आंत को शरीर में मष्तिष्क के रूप में भी जाना जाता है, वही आंत का हमारे शरीर में बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान होता है क्युकि हमारे द्वारा जो भी खाया जाता है उसे पचाने का काम आंत ही करती है, वही आंतों से जुडी बीमारियां क्या होती है और लक्षणों के माध्यम से कैसे हम अपने आंतों की रक्षा कर सकते ही इसके बारे में आज के लेख में चर्चा करेंगे ;

आंत क्या होते है ?

  • आंत जोकि सामान्यतः दो तरह के होते है, जिसमे पहला प्रकार छोटी आंत का होता है और दूसरा प्रकार बड़ी आंत का होता है। 
  • वही आंत की बात करें तो ये हमारे शरीर में हम जो भी खाते है उन्हें पचाने का काम करती है। 
  • आंत हमारे द्वारा खाए भोजन में से स्‍वस्‍थ और पौष्टिक चीजों को शरीर के अंदर रखती है और विषाक्‍त पदार्थ को बाहर करती है। हलाकि जब आंतों के द्वारा अपना काम ठीक तरह से नहीं किया जाता तो कब्ज समेत कई रोगों का जन्म होने लगता है।
  • आंतों की बात करें तो बड़ी आंत में पानी को अवशोषित किया जाता है जबकि छोटी आंत मिनरल, विटामिन और दूसरे तत्वों का अवशोषण करती है।

आंतों से जुडी बीमारियां कौन-कौन सी होती है ?

  • आंत जोकि सामान्यतः दो तरह के होते है, बड़ी आंत और छोटी आंत,
  • छोटी आंत की बीमारी में शामिल आंतशोथ, कार्बोहाइड्रेट असहिष्णुता, शरीर में आवश्यक एंजाइमों की कमी, नाड़ी और छोटी आंतों की एलर्जी संबंधी बीमारियां, व्हाइपल का रोग और अन्य. अनुचित पोषण या विशिष्ट दवाइयां लेने के कारण, छोटी आंतों में चिपचिपा झिल्ली के अखंडता या जलन के उल्लंघन के कारण उनमें से सभी अपना विकास शुरू करते है। 
  • बड़ी आंत के रोगों में बृहदांत्रशोथ, अल्सर, क्रोहन रोग, डिवर्टक्यूलोसिस और बृहदान्त्र, ट्यूमर और अन्य बीमारियों के अन्य परेशानियां शामिल है।

यदि आप अपनी बड़ी और छोटी आंत के अंदर की बीमारी के बारे में जानना चाहते है तो इसके लिए आप लुधियाना में कोलोनोस्कोपी से अपनी जाँच करवाए।

आंतों की खराबी के क्या संकेत है ?

  • एक महीने या इससे ज्यादा समय तक कब्ज का रहना। 
  • मल त्यागते समय पेट और एनस (गुर्दे) में दर्द का होना। 
  • पेट से ब्लोटिंग और भारीपन का महसूस होना। 
  • बैचेनी, पेट में जलन, दर्द और मरोड़ महसूस करना। 
  • हर दूसरे दिन कब्ज की समस्या का होना और पेट के बीच में दर्द का होना। 
  • मल के साथ खून का आना। 
  • तेजी से वजन का घटना। 
  • मुंह और शरीर से दुर्गंध का आना। 
  • भूख में कमी का महसूस करना।

अगर आप आंत या पेट से जुडी किसी भी तरह की समस्या का सामना कर रहें है तो इससे बचाव के लिए आपको लुधियाना में गैस्ट्रो डॉक्टर का चयन करना चाहिए।

आंतों की बीमारी का इलाज क्या है ?

  • रोजाना व्यायाम करें। 
  • फाइबर युक्त खाद्यपदार्थ का सेवन करें। 
  • पानी की पर्याप्त मात्रा ले और खुद को हाइड्रेट रखें। 
  • विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने की कोशिश करें। 
  • प्रोबायोटिक्स आंतों को स्वास्थ्य रखने में एहम भूमिका निभाते है इसलिए इनकी मात्रा शरीर में बनाए रखने के लिए ज्यादा से ज्यादा डेयरी उत्पादों का सेवन करें।   
  • आराम करें और खुद का ध्यान रखें। 
  • नियमानुसार कुछ न कुछ खाए लेकिन लगातार नहीं।

आंतों की बीमारी के लिए बेस्ट हॉस्पिटल या सेंटर !

आंत में किसी भी तरह की गंभीर बीमारी का होना काफी खतरनाक माना जाता है, क्युकि इससे हमारे शरीर का पाचन क्रिया का सिस्टम जुड़ा होता है इसलिए जरूरी है की इनमे किसी भी तरह की अगर परेशानी आ जाए तो कैसे हम इससे खुद का बचाव कर सकते है वो भी लुधियाना गेस्ट्रो एन्ड गयने सेंटर की मदद से।

निष्कर्ष :

आंतों में किसी भी तरह की बीमारी आने पर जल्द डॉक्टर के संपर्क में आए।

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आंत की बीमारी को जानने में कैसे मददगार होंगे इसके लक्षण !

आंत की बीमारी भी व्यक्ति को काफी हद तक परेशान करती है। इसलिए इस बीमारी के बारे में अगर समय पर ही जान लिया जाए तो इस समस्या से हम काफी हद तक निजात पा सकते है। इसके अलावा हम आज के इस आर्टिकल में भी इसके बारे में बात करेंगे की कैसे इसके लक्षणों की मदद से हम आंत की बीमारी से निजात पा सकते है ;

 छोटी बड़ी आंत की बीमारी के लक्षण क्या है ?

 इसकी बीमारी के लक्षण निम्न प्रस्तुत है

  • पेट में सूजन का बनना।
  • पेट में दर्द का बने रहना।
  • मितली और उलटी आने की समस्या का बने रहना।
  • लूज मोशन का आना।
  • मूड खराब रहना।
  • बहुत अधिक गुस्सा आना आदि।

तो वही “बड़ी आंत” के लक्षण की बात करे तो बार-बार मल त्यागने के लिए तेज प्रेशर का फील होना।

  • भूख में कमी होना या बिल्कुल भूख ना लगना।
  • मल त्याग के समय गुदा मार्ग से ब्लीडिंग का होना।
  • लगातार वजन का घटना आदि।

आंत की बीमारी का पता कैसे लगाएं ?

 इसकी जांच क्लोनोस्कोपी से की जा सकती है, तो वही बात करे क्लोनोस्कोपी की तो इसमें शौच के रास्ते से बड़ी आंत में दूरबीन को दाखिल कर बीमारी की पहचान की जाती है।

  • तो वही हैरानी की बात तो यह है कि आईबीडी (पाचन से संबंधित बीमारी) के लक्षण बवासीर, आंतों की टीबी से मिलते-जुलते होते हैं। जिसकी वजह से इसकी पहचान और इलाज में मुश्किल का सामना करना पड़ता है।

छोटी बड़ी आंत की बीमारियां क्या है ?   

छोटी व बड़ी आंत की बीमारी की समस्या काफी गंभीर है, जिसके बारे में हम निम्न में बात करेंगे ;

  • बड़ी आंत की बीमारी की बात करे तो इसमें कोलन में अतिरिक्त ऊतक का बढ़ना, जो बाद में कैंसर बन सकता है।
  • इसके अलावा अल्सरेटिव कोलाइटिस, बृहदान्त्र और मलाशय के अल्सर।
  • डायवर्टीकुलिटिस बृहदान्त्र में पाउच की सूजन या संक्रमण। चिड़चिड़ा आंत्र सिंड्रोम, पेट में ऐंठन।
  • तो वही छोटी आंत के बीमारी की बात करे तो इसमें पेट में सूजन आना पेट में दर्द रहना, पेट का फूलना, और लूज मोशन बहुत सख्त आना आदि।

गैस्ट्रो डॉक्टर लुधियाना से जानें की कौन सा ट्रीटमेंट आंत की बीमारी के लिए सहायक होगा।

आंत की बीमारी क्यों होती है ?

आंत की बीमारी हमारे द्वारा लापरवाही बरतने की वजह से होती है, जैसे ;

  • अगर व्यक्ति के आंतों में कमजोरी आ जाती है तो पाचन संबंधी समस्याएं पैदा होने लगती हैं। इसलिए आंतों का मजबूत होना अच्छी सेहत के लिए बहुत जरूरी है।
  • हालांकि भागदौड़ भरी जिंदगी में लोगों की अनियमित खानपान की आदतें और खराब जीवनशैली पाचन तंत्र को कमजोर कर देती हैं, जिससे आंतों में गड़बड़ी की समस्या उत्पन हो जाती है।

पंजाब में एंडोस्कोपी की कीमत को जान कर अपनी सेहत की जांच अच्छे से करवाए।

सुझाव :

यदि आपके आंतों में उपरोक्त समस्याएं मौजूद है और इन समस्याओं से आप निजात पाना चाहते है। तो इन्हे और खतरनाक बनने से पहले लुधियाना गैस्ट्रो एन्ड गयने सेंटर से सम्पर्क करे और अपनी परेशानी का हल पाए।

निष्कर्ष :

उपरोक्त बातो का ध्यान रखते हुए वक़्त रहते किसी अच्छे डॉक्टर का चयन अपनी बीमारी से निजात पाने के लिए करे। क्युकि आंत की बीमारी की समस्या व्यक्ति की ज़िन्दगी में कई समस्याएं लेकर आ सकती है।

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गैस्ट्रिक समस्या से आप भी है परेशान तो आजमाए इसके सहायक प्रक्रिया व उपचार ?

एक मनुष्य का पूरा शरीर उसके सही पाचन क्रिया पर निर्भर करता है। अगर सोचो पेट या पाचन क्रिया ही न सही हो व्यक्ति की, और उसको गैस्ट्रो, अपच जैसी परेशानी का सामना करना पड़ जाए तो। साथ में ही हम आज के इस लेख में इसी के बारे में जानकारी आपके सामने प्रस्तुत करेंगे की कैसे गैस्ट्रो की समस्या उत्पन होने पर हम इससे कैसे निजात पा सकते है।

गैस्ट्रो की समस्या क्या है ?

गैस्ट्रो की समस्या के बारे में हम निम्न में बात करेंगे ;

गैस्ट्रिक की समस्या आपके ऊपरी पेट में जलन या दर्द से शुरू होता है और कभी-कभी अन्नप्रणाली में भी होता है, जो खाने से या तो खराब या बेहतर हो सकता है। मतली, उल्टी, या खाने के बाद आपके पेट के ऊपरी हिस्से में भरा हुआ महसूस होना, पेट में भारीपन या थकान का होना गैस्ट्रिक दर्द के साथ ही शामिल हैं।

गैस्ट्रिक की समस्या पैदा होने पर कौन-सी बीमारी उत्पन होती है ?

इस समस्या के उत्पन होने पर निम्नलिखित समस्या उत्पन हो सकती है, जैसे;

  • कुछ एक्सपर्ट्स का मानना हैं कि गैस की समस्या बनने पर बहुत सी बीमारियां उत्पन होती है जैसे, बवासीर, वजन का कम होना, कब्ज की समस्या का उत्पन होना, डायरिया और उल्टी या मतली जैसी गंभीर समस्याओं के कुछ कारण बन सकते है इस बीमारी के।

गैस्ट्रो के दौरान यदि बीमारियां उत्पन हो जाए, तो आपको गैस्ट्रो डॉक्टर लुधियाना के संपर्क में आना चाहिए।

गैस्ट्रो की समस्या के क्या कारण है ?

इसके कारणों को जान कर आप इस समस्या का अंदाजा लगा सकते है, जैसे ;

  • अगर आप कुछ भी पीते और चबाते है, तो उस समय हवा को साथ में निगल जाना।
  • गैस बनाने वाले पदार्थों का सेवन करना।
  • आंतों में संक्रमण जैसे पाचन संबंधी समस्याएं।
  • कुछ दवाएं भी गैस्ट्रो के कारण को दर्शाती है।
  • बैक्टीरियल या वायरस संक्रमण।

गैस्ट्रिक समस्याओं की कैसे करे पहचान ?

निम्न तरह के टेस्ट करवा कर ;

  • इमेजिंग परीक्षण करवाना।
  • एंडोस्कोपी से जांच करवाना।
  • रक्त परीक्षण को करवाना।
  • श्वास टेस्ट को करवाना।

यदि आप गैस्ट्रो समस्या की जाँच करवाना चाहती है, वो भी एंडोस्कोपी से तो पंजाब में एंडोस्कोपी की कीमत के बारे में एक बार जरूर से जानना।

उपचार क्या है गैस्ट्रिक बीमारी से निजात पाने का ?

इसका उपचार डॉक्टर मरीज़ के हिसाब से करता है, जिसको हम निम्न में प्रस्तुत कर रहे है ;

  • आंतों की गैस के लिए उपचार की पहली पंक्ति दर्द से राहत देना है। आपका स्वास्थ्य सेवा प्रदाता किसी भी उपचार की पेशकश करने से पहले आपके स्वास्थ्य का विश्लेषण करेगा और आपकी समग्र स्थिति की जांच अच्छे से करेगा।
  • आपका डॉक्टर गैस समस्या के मूल कारण का इलाज करने के लिए एक व्यक्तिगत उपचार योजना तैयार करेगा। जिनमे से पहला है-
  • दवाई का उपयोग करना।
  • अंतर्निहित पाचन समस्या का उपचार करना।
  • जीवनशैली में बदलाव का आना।
  • इसके इलावा यदि उपचार बीच में छोड़ दिया जाए, तो आंतों में गैस की जटिलताओं के कई कारण बन सकते है। इनमें सीने में दर्द, हृदय संबंधी समस्याओं का जोखिम बढ़ना और अपच संबंधी समस्याओं का जोखिम बढ़ना शामिल है।

आप भी अगर पेट के अंदरूनी समस्या से परेशान है, तो इसका उपचार लुधियाना गैस्ट्रो एन्ड गयने सेंटर से जरूर से शुरू करवाए।

निष्कर्ष :

पेट की समस्या कोई मामूली समस्या नहीं है। इसलिए कोई भी परेशानी यदि आपको उपरोक्त में से आपमें नज़र आए तो कृपया इसे नज़रअंदाज़ न करे।

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Gastroenterology Hemorrhoids Kartik Goyal

What Are Hemorrhoids? Symptoms, Causes, Diagnosis, and Treatment

Hemorrhoids are enlarged, swollen veins in the rectum or around the anus. They are usually brought on by pressure on the veins, similar to the pressure that results from trying to expel a bowel movement. They may have been referred to as piles.

Blood vessel tissue is a typical component of our anatomy. It is believed to hold stool in when we are not having a bowel movement and to cushion muscles when we do. Hemorrhoids typically go undetected until they swell.

Hemorrhoids are a very common condition that gets worse with age. The majority of people will eventually experience hemorrhoids, even if they may not show any symptoms. Hemorrhoids are estimated to be visible in 50% of all persons over the age of 50.

Hemorrhoids are frequently experienced by pregnant women, although they usually go away after childbirth.

Hemorrhoids come in two main variants:

  • Internal: Inside the rectum hemorrhoids. Typically, they go unnoticed.
  • External: Hemorrhoids in the anus-region tissue.

What causes hemorrhoids?

Hemorrhoids could be the result of anything that puts strain on the veins in and around the rectum and anus. Your risk of having them increases as you age.

Common cause include:

  • Sitting for too long
  • Straining with bowel movements
  • Chronic constipation or diarrhea
  • Obesity
  • Pregnancy
  • Regular, heavy lifting
  • A diet lacking fiber
  • Anal intercourse
  • Liver disease
  • Family history of hemorrhoids

Hemorrhoid Symptoms

There could be several varieties, and each type could have a different set of symptoms. A vicious cycle of symptoms can start with itching brought on by edema. Scratching, incorrect cleaning or no cleaning at all may make ititch worse. The itching could lead to more bleeding and irritation.

Internal hemorrhoids are typically not noticeable unless they emerge from the anus. Itching or scratching might potentially cause the veins to become strained or broken, which could lead to apparent bleeding. If you have bleeding hemorrhoids, you may notice blood in the toilet bowl, on the toilet paper, or in your stool.

External hemorrhoids may cause:

  • Irritation
  • Itching
  • Pain or discomfort
  • Protrusion or hard lump near the anus
  • Rectal bleeding
  • Swelling around the anus

Prolapsed hemorrhoids may cause:

  • Pain or discomfort
  • Bulging that you can feel outside the anus

How to Diagnose Hemorrhoids

Some hemorrhoid symptoms can also be brought on by other, more serious illnesses like colon cancer. It’s crucial to discuss your symptoms with your healthcare physician to rule out any potential reasons. Sometimes your symptoms and a physical examination can detect hemorrhoids, but you could also need additional tests.

  • Physical exam 
  • Digital rectal exam (DRE)
  • Anoscopy or proctoscopy
  • Sigmoidoscopy 
  • Colonoscopy

Home Remedies

With simple lifestyle changes and over-the-counter medicines, mild symptoms can frequently be successfully treated at home. Before beginning any treatment, it’s essential to receive a diagnosis, especially if you are bleeding or have never had hemorrhoids before.

  • Eat high-fiber foods
  • Fiber supplements
  • Good personal hygiene
  • Hemorrhoid Cream
  • Warm Sitz Bath
  • Laxatives
  • Pain Relievers
  • Use a step stool

Minimally Invasive Treatments

Pain relief and other hemorrhoid-related symptoms may not always be fully achieved by using home remedies. It is necessary to remove hemorrhoids that are prolapsed or that bleed excessively. In-office removal techniques are possible in some cases.

Hemorrhoid banding

A special applicator is used to pinch the root of the hemorrhoid in a small rubber band during hemorrhoid banding, also known as band ligation.

Endoscopy

Endoscopy: A little, flexible tube will be inserted into your rectum by your doctor. Hemorrhoids can be removed using the tube, which has a tiny camera and is compatible with small tools.

Laser, infrared, or bipolar coagulation

Hemorrhoids are reduced with these procedures using infrared radiation, heat, or a laser. The hemorrhoids will gradually stiffen, shrivel, and fall off following treatment.

Sclerotherapy

A chemical solution is injected into the hemorrhoid during sclerotherapy, causing it to contract and leave behind a scar.

The doctors for hemorrhoids in Ludhiana may recommend a hemorrhoidectomy if home remedies and minimally invasive office procedures are ineffective. Piles Treatment in Ludhiana reduces extra tissue that contributes to bleeding Although it usually works, it can be painful.

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Endoscopy Gastroenterology Kartik Goyal Ultrasound

What are the uses and benefits of endoscopic ultrasound?

Overview

The wave of improved and updated medical advancement have proven to be a boon for patients. The medical procedures with inventive techniques allow us to check the problem by viewing what’s inside and accordingly perform the necessary steps. Be it one of the best gynecologists or the Best Gastro Doctor in Ludhiana, both of them use the procedure to address the condition effectively. And one such procedure is an endoscopic ultrasound that is combined with ultrasound offering the desired imaging. Like in the case of a digestive tract problem, the procedure has proven to be of great help.

The procedure of Endoscopic Ultrasound

The method of Endoscopic Ultrasound in Ludhiana is categorized as a minimally invasive method. During the procedure, the doctor inserts a long and flexible tube into the rectum or mouth that easily guides through the body, and the device has a camera attached to one end to see the inside of the body clearly. The latest technology contains ultrasound devices with the same that produce sound waves giving the inside image of the tissues and organs to perform the treatment.

Gastro parts that are checked with Endoscopic Ultrasound

Through the endoscopic ultrasound, it’s possible to check the different parts like:

  • Rectum
  • Colon
  • Stomach
  • Esophagus
  • Liver
  • Gallbladder
  • Lymph nodes
  • Lungs

Depending on where you have the problem, the gastro doctor will direct you toward the specific approach.

Uses of Endoscopic Ultrasound

  • Check the reason behind the symptoms

To identify the reason behind unusual symptoms, the gastro doctor performs EUS. Like even in case of the chest or abdominal pain, unexpected weight loss, and accidental bowel leakage, the EUS checks everything.

  • Checks medical conditions

Through the same, the doctor checks the possibility of a medical condition like bile duct stone and pancreatitis problem.

  • Perform biopsy

The biopsy is an important process to check for cancer problems.

  • Stage and diagnosis of cancer

The EUS is even effective in diagnosing and staging cancer of the pancreas, stomach, lung, colorectal, and esophageal. Through the EUS, it’s even easier to find whether cancer has spread to other organs or lymph nodes.

Benefits of Endoscopic ultrasound

The EUS offers various benefits as the method of diagnostic tests like:

  • The standard EUS cannot effectively determine what’s the problem. Whereas with the advanced approach, that’s easily possible.
  • The ultrasound device goes into the body seeing all the organs properly, providing accurate images of the body. Thus the EUS helps to make effective results and determine the exact solution properly.
  • While performing EUS, the doctor can even take fluid or tissue samples. With the said approach, the need for additional biopsy won’t be required.
  • The procedure eliminates the stress of undergoing any radiation.

Prepare yourself in advance to undergo an endoscopic ultrasound

  • The EUS is an outpatient method that means you will go back home on the same day.
  • You need to give out less than one hour for the procedure. And afterward, you can continue with the normal regime.
  • Before the appointment, you need to fast for at least 8 hours.
  • The procedure is safe and effective. But make sure that you ask the doctor about everything and understand the methods of managing the complications.

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Endoscopy Kartik Goyal

What’s The Need For Minimally Invasive Procedure Endoscopy?

Endoscopy for diagnostic test

Endoscopy is one of the most asked-for diagnostic tests that’s an integral part of gastro care. The gastroenterologist performs the procedure to have a better look inside the digestive tract:

  • Stomach
  • Esophagus

  • Colon

Endoscopy in Punjab can be used to see several health issues that leave symptoms like heartburn, reflux, and chronic pain. One of the stats shows that heartburn cases in India fall between 7.6% and 30%. That’s a huge number requiring immediate medical care.

Therefore, if you have problems like acid reflux on a chronic level and heartburn, then you have to consult one of the Best Gastro Doctor in Ludhiana. The gastro doctor will suggest you the necessary possible care to address the condition in the most significant manner. What you have to always keep in mind is to consult the gastro doctor without any delay. Seeking the right kind of medical care plays an essential part in addressing the concern on time.

Endoscopy and Gastroenterology services

The doctor will do thorough evaluation to ensure everything is known. The endoscopy approach is for the lower or upper GI tract to check the possible symptoms and digestive health issues.

Endoscopy is an advanced approach and comes under the category of the minimally invasive method. Your gastroenterologist performs the same to effectively determine what’s the best possible way to correct the specific concern that you have.

Reasons to perform endoscopy

Several digestive issue symptoms are treated through endoscopy to analyze your entire digestive health effectively. The possible reasons to perform endoscopy are:

  • Peptic Ulcer Disease

  • Hiatal hernia

  • Blood while vomiting

  • Nausea and weight loss

  • Achalasia Cardia

  • Inflammatory bowel disease (IBD) like Ulcerative Colitis (UC) and Crohn’s Disease

  • Frequent abdominal pain

  • Unexplained bleeding in the digestive tract

  • Diarrhea that doesn’t respond to medicines

  • Pancreatitis

  • Gallstones

  • Resection of Gastric epithelial polyps

  • Recurrent gastritis or acidity

  • GERD (Gastroesophageal Reflux Disease)

  • Taking a biopsy from a suspicious lesion or ulcer

  • Foreign body extraction (Example: Coin, battery, meatloaf, etc.)

  • Endoscopic balloon for weight loss (For advanced cases, if needed)

  • Esophageal Variceal Ligation

Endoscopy procedure: How is it done?

The expert gastro doctor performs this minimally invasive method as an outpatient procedure. The endoscope is a small fiber-optic instrument with a light attached to one end. It allows you to send images of your present GI tract on the video screen. It follows a careful and effective approach making it an exceptionally perfect method.

Is an endoscopy diagnostic test comfortable?

The gastro doctor will administer the required sedative before the procedure starts. Its desired effect is to make the procedure extremely comfortable. The recovery from the sedative might take around 24 hours.

Gastro care: Get the best care at the earliest

Getting the right information is essential, no matter what the problem. Similarly, to improve your gastro health, you need to seek medical assistance from Dr. Kartik Goyal, who will ensure to offer what’s best and effective. Schedule your initial consultation to get further information.

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ERCP Kartik Goyal

What Are ERCP, And What Are The Common Reason For Doctors To Use It?

What Is ERCP (Endoscopic Retrograde Cholangiopancreatography)?

ERCP or Endoscopic Retrograde Cholangiopancreatography is a method that mixes the X-rays and upper gastrointestinal (GI) endoscopy in order to treat the issue of pancreatic ducts and bile.

 What Are Bile And Pancreatic Ducts?

Bile ducts are basically a tube that carries bile from your liver to your duodenum and gallbladder. The primary function is that the small pancreatic ducts empty into the main pancreatic duct. Also, the common bile duct and the duct of the main pancreatic join together before they empty into the duodenum. 

Reasons Why Doctors Use ERCP?

The main reason why the best gastro doctor in Ludhiana uses ERCP is to treat the issue related to pancreatic ducts and bile. Apart from that, the professional also uses ERCP to diagnose the concerns of bile and pancreatic ducts if they expect to cure the issue at the time of the procedure.

In the case of only diagnosing the issue, the doctor generally uses non-invasive tests instead of ERCP. They are those examinations that do not physically enter the body.

Some of the non-invasive tests that are safe and can also diagnose the problem of pancreatic ducts and bile without any complication are magnetic resonance cholangiopancreatography (MRCP). It is basically a type of magnetic resonance imaging (MRI).

Doctors perform ERCPs because of the blocking and narrowing of the bile and pancreatic ducts. 

Common Reason For The Blocking And Narrowing Of Pancreatic And Bile Duct

  1. The formation of gallstones in your gallbladder becomes stuck in the common bile duct.
  2. Chronic pancreatitis.
  3. Acute pancreatitis.
  4. Having surgical or trauma complications in the pancreatic and bile ducts.
  5. Pancreatic pseudocysts.
  6. Tumors or cancer of the pancreas.
  7. Tumor and cancer of bile ducts.

Talking To Your Doctor Is The Key

It is necessary for you to discuss your allergies and medical conditions beforehand. You should also show all the prescribed over-the-counter medicines that you are taking, including vitamins, and other supplements such as:

  1. Arthritis medicines
  2. Blood pressure medicines
  3. Blood thinners medications
  4. Diabetes medicines
  5. Nonsteroidal anti-inflammatory drugs (NSAIDs) such as Ibuprofen and naproxen.

Apart from that, your doctor might also ask you to stop taking certain medicines, such as those that affect the interaction with sedatives and blood clotting temporarily. Additionally, the doctor will also prescribe you some sedatives at the time of ERCP treatment to help you relax a little and stay comfortable throughout the procedure.

You must also tell your doctor if you are pregnant or not. If you are pregnant and have to undergo ERCP treatment to treat the condition, the doctor might conduct the whole procedure with some minor or major changes best suited for the patient’s comfort. They would also protect the fetus from the X-rays.

According to much research, we have established that ERCP is generally safer during pregnancy.

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Endoscopy ERCP Kartik Goyal

Will my child be in pain while undergoing the ERCP procedure?

Endoscopic Retrograde Cholangiopancreatography (ERCP) Procedure

ERCP (Endoscopic Retrograde CholangioPancreatography) is minimally invasive method that helps treat the conditions linked to the pancreatic and bile duct. At one of the leading Gastro hospital in Ludhiana, you can expect the most advanced method to be performed correctly to diagnose the specific condition.

In many cases, parents get worried whether undergoing an ERCP procedure would trigger pain and how it’s performed fir childrens? To clear your thoughts, ERCP Treatment in Ludhiana is a feasible approach and won’t cause any significant discomfort. For better understanding, you need to discuss the same with your gastro doctor.

What’s the use of an endoscope in ERCP?

Endoscopic means endoscope use which means going in the bile flow direction and getting necessary images of the pancreatic and bile duct. Getting all the required information allows the Gastro doctor in Punjab to perform the surgery with utmost ease and comfort.

What are the reasons for undergoing ERCP?

As per the prevalence rate, around 0.3% of children need a hospital visit to get treatment for jaundice and severe pain. The given symptoms are the reason for conditions like:

  • Gallbladder stone reaches the bile duct area
  • Blocked biles, the body won’t absorb the nutrients

As the presence of the bile duct is so tiny, it’s normal for the stone to get in that area. To address severe pain and ensure the problem won’t get worse with time, the doctor suggests your child get ERCP.

ERCP procedure

ERCP includes two components:

  • Endoscopy
  • Fluoroscopic X-ray

During ERCP, your child will be under general anesthesia, which means they won’t feel discomfort. The gastro doctor inserts the endoscope that has a tiny video camera attached to one end. The doctor will safely put the thin, flexible tube into the child’s mouth, and then it goes into the upper digestive system.

As the endoscope is narrow, there is much ease in dividing it into two channels. The doctor inserts carbon dioxide into the GI tract to help see and treat everything. If there’s a need to visualize an extremely small part of the body, the doctor uses a special kind of contrasting dye for better visualization.

The dye makes it easier to see any type of abnormal blockage or to narrow in the duct. Depending on the test results and what’s visible on the X-rays, the gastro doctor will further customize the necessary course of the treatment plan.

Pediatric ERCP developing significantly

Undoubtedly, the demand for ERCP, in general, has increased a lot in the past 20 years. As an advanced diagnostic method offering a high level of therapeutic capabilities makes it effective. If your child is in pain or the exact reason is unknown, seek medical assistance from the gastro doctor without any delay.

Schedule your initial consultation

At Ludhiana Gastro & Gynae Centre you can consult the gastro doctor to make an informed choice on what’s right and safe for your little one.

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Gastroenterologist Gastroenterology Kartik Goyal

Everything you should know about an intragastric balloon for weight loss treatment

Intragastric Balloon For Weight Loss Treatment

The intragastric balloon treatment makes one of the most appropriate choices for weight loss. The procedure uses endoscopy to fill the stomach with a balloon and limit the intragastric space. The stomach stays there for six months, and Intragastric Balloon for Weight Loss in Punjab helps the patients lose around 10 to 15 kg. So, if you have been searching for weight loss treatment, then better consult the doctor.

Procedure of endoscopic guidance

The silicon balloon gets placed in the stomach through endoscopic guidance. The procedure aims to make you feel full and reduce your hunger feeling. Don’t consider the procedure a permanent weight loss treatment. The market have different types and sizes of balloons. Depending on what’s best for you, the doctor will suggest the necessary choice when you visit for the initial consultation at Gastro hospital in Ludhiana and clarify all your doubts.

Signs that I need to undergo intragastric balloon treatment (For weight loss)

  • BMI is more than 30, and therefore, your condition demands an effective approach
  • Class 2 obesity (BMI falls between 32 to 37) and surgery is impossible due to other health issues.
  • For BMI > 37, procedure makes best before bariatric surgery to ensure there’s no problem linked to the surgical approach.
  • All the dietary measures have failed, and you have conditions like infertility, PCOS, and other problems.

With all these conditions, you must consult a medical expert without worrying about anything.

The expert team performs weight loss surgery in Ludhiana

There’s no need for surgery during intragastric balloon for weight loss treatment. The medical expert team will give you a necessary treatment plan to improve your condition. When you consult the doctor, you will get the following information:

  • Right kind of assessment.
  • Proper guidance is available to you.
  • Discuss the different methods. Make sure to ask any questions that come to your mind.
  • Depending on the initial evaluation and diagnosis, the team informs that you are a suitable candidate for intragastric balloon treatment for weight loss.

Are there any tests done before the weight loss treatment?

  • Hemogram, RBS, HbA1C
  • Cortisol, Blood Group
  • Calcium, S. Magnesium
  • GAD Antibodies, IA2 Antibodies (in diabetic patients)
  • His Ag, HIV I & II, Anti HCV, VDRL, Urine RE
  • ECG, X-Ray Chest PA, USG abdomen, Dexa Scan
  • C peptide fasting, C peptide 1 hr pp, Insulin fasting
  • Liver function test, Lipid Profile, Thyroid function test, and Renal function test

Placement of the intragastric balloon

The procedure requires endoscopy and mild anesthesia. The tube contains a camera to see the inside of the stomach. The balloon is silicone elastomer, soft and pliable. The balloon gets placed through sterile solution or air. Following that, the doctor gently pulls the catheter from the inner side, and the balloon self-sealing valve won’t result in leakage or air. The procedure takes 20 minutes. You might need to stay overnight or return home a few days after surgery.

Do you have any doubts?

Schedule your initial consultation at Ludhiana Gastro & Gynae Centre to seek all necessary information.

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Gastroenterologist Gastroenterology Gynecologist

Everything you need to know about the healthy diet plan for IBS

IBS (Irritable Bowel Syndrome): Diet Plan for IBS

IBS is one of the most problematic conditions that affect your gut and your overall lifestyle. It’s even seen that IBS symptoms flare up with the intake of specific food options. And that is why it’s suggested to change the diet plan. Irritable bowel syndrome can trigger in some people by consuming specific food options. 

Food is a powerhouse to generate your body’s well-being towards the right path. And that is why our Gastroenterologist in Ludhiana has shared essential insider tips for the ‘Best Diet Plan For IBS.’ When you consult our gastroenterologist, he will guide you towards the right possible option to make your bowel health better and healthy.  

Gastro doctor guide: Diet Plan for IBS

Your IBS diet plan includes three significant steps. And those are mentioned below:

Step 1: Live a healthy lifestyle and follow the healthy diet plan

For a healthy IBS Diet plan, you should:

  • Eat fruits and vegetables
  • Drink an adequate amount of water, at least 10 to 12 glasses, every day 
  • Include scratchy carbohydrates like rice, bread, pasta, potatoes, cereals, and chapatis. 
  • Milk & dairy products. Individuals with lactose intolerance should have rice milk, oat milk, and soya milk. 
  • Include protein-enriched food like eggs, fish, meat, pulses & beans. 
  • Don’t have an excess amount of sugary and high in fat food
  • Don’t have saturated food like cakes, butter, ghee, cheese, biscuits, etc. 

For a healthy IBS lifestyle

  • Do not miss out on any meal
  • Never eat your food in a hurry
  • Properly chew the food
  • Avoid eating late at night
  • Exercise regularly
  • De-stress yourself 
Step 2: Change IBS diet depending on symptoms

With a healthy diet and lifestyle, you have to change your diet plan depending on the symptoms. Therefore, modify the diet to get the symptoms under control. Here are some of the changes you should make:

  • Limit the regular intake of coffee

Coffee stimulates the colon and makes symptoms worse. So, limit coffee and tea intake to not more than 3 cups in a day. Additionally, limit soft drinks. 

  • Do not drink alcohol

Just like alcohol, you need to limit alcohol intake daily. It’s better to keep at least two days without any alcohol intake

  • Limit intake of resistant starch 

Some starch doesn’t react well to digestive health and aggravates IBS symptoms. Here’s what you have to avoid:

  • Ready meals
  • Pastry
  • Cold potato, salad, or pasta 
  • Savory snacks
  • Processed food of any kind
  • Whole grains, sweet corn, green banana, and muesli
  • Make your fiber intake better

For most individuals diagnosed with IBS, fiber intake is not correct. And some have to increase their fiber intake. So, depending on how your body reacts, you should manage your fiber intake every day. 

  • Reduce fatty foods

Some fatty foods are problematic for the body to digest, and their intake can worsen symptoms. So, you should:

  • Avoid fatty meat products such as sausages, pies, and pasties
  • Take cheese in a small amount
  • Intake of lower-fat dairy food like low-fat yogurt, semi-skimmed milk, and cottage cheese
  • Use tomato-based sauces 
  • Cakes, biscuits, chocolates, and pastries.
  • Make dressings and sauces with mayonnaise and salad cream but add small amounts. 
  • Opt for different and healthy cooking methods: Microwaving, grilling, steaming, boiling, and poaching. Avoid frying.

Did you know? 

Probiotics can also help. Talk to the doctor about which one you should have. 

Step 3: Begin with an elimination diet

Additionally, some studies have shown if indicated to follow a low FODMAP diet, the symptoms improve. And it’s

  • Fermentable
  • Oligo
  • Di
  • Monosaccharides
  • And
  • Polyols

Little Breakdown on IBS Diet:

Foods to eatFoods to avoid
FruitsOranges, grapes, kiwi, blueberries, strawberries, and raspberries, Peaches, mangoes, apples, watermelon, pears, and plums nectarines
SweetenersAgave, steviaHigh fructose corn syrup, and Sorbitol, xylitol, 
LegumesPeasChickpeas, kidney beans, and lentils
VegetablesCarrots, eggplant, pumpkinArtichokes, Brussels sprouts, onions, asparagus, and broccoli
Other foodsEggs, lean meat, oatmealWheat products, nuts, milk products, coffee, and alcohol

Do you have any doubts?

Schedule your initial consultation at Ludhiana Gastro & Gynae Centre to better understand what kind of diet plan to follow during IBS.

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Common Questions About Gastroenterology And Its Common Treatment

What Is Gastroenterology?

Gastroenterology is basically a generic medicine that is a subspecialty. It mainly focuses on the digestive system, the organs that are associated with it, and its disorders. The primary function of the gastrointestinal system is to assimilate nutrients, digest and transfer food, and also eliminate toxins from the body. Gastroenterology mainly concerns the diseases that affect the organs. The concern starts from the mouth to the anus, also known as the gastroenterology tract.

 What Are The Most Common Gastroenterology Diseases

Gastro doctor in Ludhiana is able to cure many different types of illness, including ulcers, acid reflux, hepatitis C, polyps or growths that happens in the large intestine, hemorrhoids, jaundice, pancreatitis (inflammation in the pancreas), bloody stool, constipation, colon cancer, acute or chronic diarrhea, defecation problems, hemorrhoids, irritable bowel syndrome, rectal problems in women, some other inflammatory bowel diseases such as ulcerative colitis, Crohn’s diseases and many more.

Some of the most common symptoms of these diseases are mostly ranging widely, such as nausea, vomiting, loose motions, constipation, rectal bleeding, loss of appetite, pale-colored stools, loss of weight, and lethargy.

We highly recommend you seek professional help if you notice any of the given symptoms or issues. You can get Gastroenterology Treatments in Ludhiana without any delay and get rid of any problems that concern your overall health. 

Who Are Gastroenterologists?

Gastroenterologists are typically trained professionals who have specialized in the field of treating gastroenterology issues in the body. They generally have a training and education of a total of 10 years that includes undergraduate medical education, an MD in internal medicine, a Dm, or even a fellowship in gastroenterology. The doctors for gastrology conduct various diagnostic and remedial examinations that include ERCP, endoscopy, gastrology, endoscopic, liver biopsy, and ultrasound. Apart from that, there are also some gastroenterologists that can perform various advanced hepatology, endoscopy, and treatments for ulcerative colitis and Crohn’s diseases.

 When Should You Consult A Gastroenterologist?

You must immediately consult or seek help from an expert (gastroenterology doctor) if you notice any unexplained pain or complaints in the abdominal area. Apart from that, if a patient is suffering from any abdominal pain, they must contact the gastroenterology specialist without delay. In some cases, people who are above the age of 50 unusually contact a gastroenterologist for some precautionary measures as they are at higher risk of contracting colon cancer.

What Kind Of Treatments Do Our Gastrologists Give?

We hire our gastroenterologists doctors who are highly educated and skillful at diagnosing and treating the ailment and disorders associated with the gastrointestinal tract, also known as GI. Some of those areas include the esophagus, small intestine, stomach, large intestine (colon), and also the biliary system (pancreas, liver, bile ducts, and gallbladder). Apart from that, a gastroenterologist will be more comfortable or skilled in guiding the symptoms and the conditions of the GI organs, including:

  1. Liver problem
  2. Nausea
  3. Gastritis
  4. Abdominal pain