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प्रेगनेंसी के दौरान नॉज़िया या फिर वोमिटिंग क्यों होता है, जाने कैसे पाए इस समस्या से निजात ?

एमेरिटस हॉस्पिटल के सीनियर कंसल्टेंट डॉक्टर सुचिता बत्रा ने अपने यूट्यूब चैनल में पोस्ट एक वीडियो में यह बताया की प्रेगनेंसी के शुरुआती कुछ हफ़्तों में नॉज़िया या फिर वोमिटिंग का अनुभव होना बेहद सामान्य बात मानी जाती है, लकिन कई मामलों में स्थिति गंभीर भी हो जाती है | अब अगर बात करें की ऐसा क्यों होता है तो प्रेगनेंसी के दौरान महिंलाओं के हार्मोन  बहुत तेज़ी से बदलते रहते है, जिस कारण नॉज़िया या फिर वोमिटिंग का अनुभव होना स्वाभाविक है | 

 

डॉक्टर सुचिता बत्रा ने यह भी बताया की वैसे नॉज़िया या फिर वोमिटिंग का प्रेगनेंसी के दौरान आना स्वाभाविक है लेकिन कुछ युक्तियों के अनुसरण से आप इस समस्या को कम करने की कोशिश ज़रूर कर सकते है | आइये जानते है ऐसे ही कुछ युक्तियों के बारे में :- 

 

  • कोशिश करें की अपने आप को हाइड्रेटेड रखें, एक बार काफी सारा पानी का सेवन बिलकुल भी न करें क्योंकि इससे वोमिटिंग आने का खतरा होता है, सिप-सिप करके ही पानी का सेवन करें |
  • पूरे दिन के तीन प्रमुख भोजन को छह भोजन में विभाजित कर दें | ऐसा करने से आप अपना भोजन पूरा खा सकेंगे और वोमिटिंग की समस्या भी कम होगी | 
  • कोशिश करें की न ही पेट को पूरा भर कर भोजन करें और न ही पेट को कभी खाली रखें, क्योंकि ऐसा करने से नॉज़िया या फिर वोमिटिंग आने का खतरा रहता है | 
  • सुबह उठने के बाद खाली पेट कुछ भी लिक्विड चीज़ों का सेवन बिलकुल न करें, कोशिश करें कि अपने दिन की शुरुआत ग्लूकोन-डी बिस्किट्स या फिर क्रैकर्स के सेवन से ही करें | 

 

इससे जुड़ी अधिक जानकारी के लिए आप दिए गए लिंक पर क्लिक करें और अपनी अप्पोइन्मेंट को बुक करें | इसके अलावा आप एमेरिटस हॉस्पिटल नामक यूट्यूब चैनल पर भी विजिट कर सकते है | इस चैनल पर इस विषय संबंधी संपूर्ण जानकारी पर वीडियो बनकर पोस्ट की हुई है | 

 

यदि आप भी प्रेगनेंसी से जुड़ी किसी प्रकार की समस्या से गुज़र रहे है तो इलाज के लिए आप एमेरिटस हॉस्पिटल से परामर्श कर सकते है |  इस संस्था के सीनियर कंसलटेंट डॉक्टर सुचित्रा बत्रा ऑब्स्टट्रिशन गयनेकोलॉजिस्ट में स्पेशलिस्ट है जो इस समस्या को कम करने में आपकी पूर्ण से मदद कर सकते है | इस लिए आज ही एमेरिटस हॉस्पिटल की वेबसाइट पर जाएं और अपनी अप्पोइन्मेंट को बुक करें | आप चाहे तो वेबसाइट पर दिए गए नंबरों से सीधा संस्था से संपर्क कर सकते है |  

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गर्भावस्था के दौरान आहार कैसा होना चाहिए ?

स्वस्थ आहार किसी भी समय स्वस्थ जीवनशैली का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, लेकिन यदि आप गर्भवती हैं या गर्भावस्था की योजना बना रहे हैं तो यह विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। गर्भावस्था के दौरान स्वस्थ भोजन करने से आपके बच्चे को विकसित होने में मदद मिलेगी। आपको किसी विशेष आहार पर जाने की ज़रूरत नहीं है, लेकिन आपके और आपके बच्चे के लिए आवश्यक पोषक तत्वों का सही संतुलन प्राप्त करने के लिए हर दिन विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ खाना महत्वपूर्ण है।

गर्भावस्था के दौरान, स्वस्थ भोजन के मूल सिद्धांत वही रहते हैं – भरपूर मात्रा में फल, सब्जियां, साबुत अनाज, दुबला प्रोटीन और स्वस्थ वसा प्राप्त करें। हालांकि , गर्भावस्था के आहार में कुछ पोषक तत्वों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। स्मार्ट भोजन विकल्प चुनने से आपको स्वस्थ गर्भावस्था और स्वस्थ बच्चा पाने में मदद मिल सकती है। गर्भावस्था के दौरान स्वस्थ भोजन करने में आपकी मदद के लिए यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं:

  • साबुत फल – जैसे सेब, जामुन, संतरे, आम और केले
  • सब्जियां – जैसे ब्रोकोली, शकरकंद, चुकंदर, भिंडी, पालक, मिर्च, और जीकामा
  • साबुत अनाज – जैसे ब्राउन चावल, बाजरा, दलिया, बुलगुर, और साबुत गेहूं की ब्रेड
  • प्रोटीन – जैसे दुबला मांस और चिकन, अंडे, समुद्री भोजन, सेम और दाल, नट और बीज, और टोफू
  • कम वसा या वसा रहित डेयरी – जैसे दूध, दही, पनीर, लैक्टोज मुक्त डेयरी, और फोर्टिफाइड सोया पेय पदार्थ (सोया दूध) या सोया दही
  • तेल – जैसे वनस्पति तेल, जैतून का तेल, और समुद्री भोजन, एवोकैडो और नट्स जैसे खाद्य पदार्थों में तेल। 

आयरन और गर्भावस्था

  • गर्भावस्था के दौरान महिला को आयरन की आवश्यकता बढ़ जाती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि विकासशील भ्रूण जन्म के बाद पहले 5 या 6 महीनों तक अपने शरीर को बनाए रखने के लिए मां से आयरन लेता है।
  • गर्भावस्था के दौरान आयरन की हानि कम हो जाती है, क्योंकि महिला को अब मासिक धर्म नहीं हो रहा है। हालांकि, यह विकासशील भ्रूण की ज़रूरतों को पूरा करने के लिए पर्याप्त नहीं है। गर्भवती महिलाओं के लिए प्रतिदिन आयरन युक्त खाद्य पदार्थ खाना महत्वपूर्ण है, जैसे मांस, चिकन, समुद्री भोजन, सूखे बीन्स और दालें, और हरी पत्तेदार सब्जियाँ।
  • लोहे के पशु स्रोत शरीर द्वारा आसानी से अवशोषित हो जाते हैं। पौधों से प्राप्त आयरन इतनी आसानी से अवशोषित नहीं होता है, लेकिन अवशोषण में मदद मिलती है जब इन खाद्य पदार्थों को विटामिन सी युक्त खाद्य पदार्थों (जैसे संतरे) के साथ खाया जाता है। यह उन महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण है जो शाकाहारी आहार का पालन करती हैं।

आयोडीन और गर्भावस्था

  • आयोडीन थायराइड हार्मोन के उत्पादन के लिए आवश्यक एक महत्वपूर्ण खनिज है, जो वृद्धि और विकास के लिए महत्वपूर्ण है। यदि आप गर्भावस्था के दौरान पर्याप्त मात्रा में आयोडीन का सेवन नहीं करती हैं, तो इससे आपके बच्चे में मानसिक हानि और जन्मजात हाइपोथायरायडिज्म का खतरा बढ़ जाता है।
  • आयोडीन के अच्छे स्रोत वाले खाद्य पदार्थों में शामिल हैं:
  • समुद्री भोजन
  • समुद्री शैवाल 
  • अंडे
  • मांस
  • डेयरी उत्पादों।

विटामिन डी और गर्भावस्था

गर्भावस्था के दौरान आपके बच्चे की वृद्धि और विकास और आपके स्वयं के स्वास्थ्य के लिए विटामिन डी आवश्यक है। विटामिन डी हड्डियों के स्वास्थ्य और आपके और आपके बच्चे के लिए इष्टतम गर्भावस्था परिणामों के लिए महत्वपूर्ण है।

हमें अधिकांश विटामिन डी सूर्य से मिलता है। सूर्य से पराबैंगनी (यूवी) विकिरण त्वचा में विटामिन डी पैदा करता है और यह विटामिन डी का सबसे अच्छा प्राकृतिक स्रोत है। हमारे विटामिन डी की थोड़ी मात्रा ही हमारे आहार से आती है – अंडे, तैलीय मछली, मार्जरीन और दूध जैसे खाद्य पदार्थों से विटामिन डी से दृढ़।

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गर्मियों में गर्भवती महिला को कौन से स्वास्थ्यवर्धक उपाय करने चाहिए ?

गर्भावस्था एक दिलचस्प और रोमांचक यात्रा है, जो कभी-कभी गर्भवती माँ के लिए असहज हो सकती है। गर्मियों में, देश के अधिकांश हिस्सों में तापमान बढ़ जाता है, जिससे गर्भवती महिला को कुछ असुविधा हो सकती है। कहते है जब महिला गर्भवती होती है, उसके बच्चे को समायोजित करने के लिए अनूठे बदलावों से गुजरता है, और “इनमें से कुछ बदलाव गर्भवती माँ के लिए असुविधा पैदा कर सकते हैं।” तापमान बढ़ने से स्थिति और खराब हो सकती है।”

गर्म और आर्द्र तापमान, सूजे हुए पैरों और अत्यधिक पसीने के कारण, गर्मियों में गर्भवती होना कठिन हो सकता है। गर्भावस्था के दौरान होने वाले शारीरिक परिवर्तन

  • प्रारंभिक गर्भावस्था में मतली और उल्टी
  • अपच, ‘गैस’, सूजन की अनुभूति और भूख कम लगना
  • गर्भावस्था के दौरान वजन में 10-12 किलोग्राम की वृद्धि होना
  • एडिमा – गर्भावस्था के पहले तीन महीनों के बाद पैरों और टांगों में तरल पदार्थ जमा होना
  • बढ़ते गर्भाशय के कारण सांस लेने में तकलीफ होना
  • गर्मी बहुत लगना जिसको हॉट फ्लैशेस भी कहा जाता है 
  • भूख कम लगना
  • गर्म आहार खाने भी अच्छे नहीं लगने  

गर्मियों में, विशेष रूप से, गर्भवती महिलाओं को कुछ चुनौतियों से गुजरना पड़ता है, साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि कुछ सुझाव हैं जिनकी मदद से वे बेहतर महसूस कर सकती हैं।

  • जलयोजन: प्रतिदिन कम से कम 3 लीटर पानी पिए। उसके ऊपर नारियल और ताज़े फलों का रस डालें (यदि आपको गर्भावधि मधुमेह है तो इससे बचें) जिसमें न्यूनतम या कोई चीनी न हो। अपर्याप्त जलयोजन से हीट स्ट्रोक हो सकता है।
  • आहार: याद से अपने डाइट में ज़्यादा सब्जियां, हरी चीजें, अंकुरित सलाद, फल को जरुरु खाना चाहिए। दही और लसी सबसे ठंडा रखने वाली चीजें है। अधिक तेल, घी और खाने में मसाला के साथ अधिक नमक भी खाना बंद देना चाहिए।     
  • तैरना/ कसरत: यह ठंडक पाने का एक शानदार तरीका है और यदि आपके पास पूल तक पहुंच है तो आपको इसका उपयोग अवश्य करना चाहिए। नियमित व्यायाम या तो सुबह जल्दी या शाम को किया जाना चाहिए जब तापमान कम हो।
  • ऊँचे पैर: अपने पैरों को तकिए या कुशन पर रखकर ऊँचे रखना याद रखें क्योंकि इससे आपके पैरों और टांगों में पानी का जमाव कम हो जाता है।
  • कपड़े और जूते: सफेद या पेस्टल शेड के ढीले सूती कपड़े पहनें। इसके अलावा, सूजन को समायोजित करने के लिए आरामदायक जूते पहनें।
  • सनग्लासेस/सनस्क्रीन/छाता: धूप के चश्मे की एक अच्छी जोड़ी में निवेश करें और जब भी आप लंबे समय के लिए बाहर हों तो सनस्क्रीन का उपयोग करें। अपनी सुरक्षा के लिए छाता लेकर चलें या चौड़ी टोपी पहनें।
  • नींद: दोपहर में कम से कम 30 मिनट की झपकी लेने की कोशिश करें, क्योंकि यह दिन का सबसे गर्म हिस्सा होता है।
  • अधिक गहने मत पहने: ज़्यादा गहने पहने से साँस और खून रुकने जैसे लगती है।  

गर्भावस्था के लिए सर्वश्रेष्ठ हाइड्रेशन पेय:

  • पानी: हम इसकी पर्याप्त अनुशंसा नहीं कर सकते, लेकिन हम समझते हैं कि कई महिलाएं इसे कभी-कभार बदलने का मन करती हैं।
  • नारियल पानी:  नारियल पानी एक प्राकृतिक इलेक्ट्रोलाइट युक्त पेय है जो पसीने के माध्यम से खोए गए तरल पदार्थ और खनिजों को फिर से भरने में मदद कर सकता है।
  • फलों का रस:  ताजा निचोड़ा हुआ फलों का रस विटामिन और खनिजों का एक अच्छा स्रोत है, लेकिन अतिरिक्त शर्करा से सावधान रहें और 100% फलों का रस चुनें।
  • सब्जी का रस: गाजर, ककड़ी और चुकंदर जैसी ताजी सब्जियों के रस जलयोजन और आवश्यक विटामिन और खनिज प्रदान करते हैं।
  • खेल पेय: स्पोर्ट्स ड्रिंक एनर्जी ड्रिंक से अलग होना चाहिए, जिससे आपको बचने की कोशिश करनी चाहिए। खेल पेय पदार्थ जलयोजन प्रदान करने और इलेक्ट्रोलाइट्स की भरपाई करने के लिए बनाए जाते हैं, जिससे मां और विकासशील बच्चे दोनों को लाभ होता है। हालांकि, शून्य-चीनी विकल्प तक पहुँचना आपके सर्वोत्तम हित में हो सकता है।
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गर्भवती महिलाओं को टाइप 1 डायबिटीज में किस तरह की सावधानियों को बरतना चाहिए !

गर्भावस्था एक ऐसा पड़ाव है हर महिला की ज़िन्दगी में की इस पड़ाव से तो हर महिला होकर गुजरती ही है, पर गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को कई तरह की समस्या का भी सामना करना पड़ सकता है, तो वहीं गर्भावस्था में कई महिलाएं टाइप 1 डायबिटीज की समस्या का भी सामना करती है, तो चलिए जानते है की इस तरह की समस्या से कैसे वो खुद का बचाव कर सकती है, और साथ ही किन बातों का उन्हे इस दौरान खास ध्यान रखना चाहिए;

महिलाओं में डायबिटीज की समस्या क्या है ?

  • डायबिटीज लंबे समय तक चलने वाली एक गंभीर स्‍वास्‍थ्‍य समस्‍या है। वहीं इस बीमारी को ठीक करना मुश्किल है, लेकिन इसके लक्षणों को कंट्रोल किया जा सकता है। वहीं महिलाओं में डायबिटीज का असर प्रेग्‍नेंसी पर भी देखने को मिलता है। 
  • इसके अलावा अगर माँ डायबिटीज की बीमारी से परेशान है, तो इसका नुकसान उनके बच्‍चे को भी उठाना पड़ सकता है।

गर्भवती महिलाओं में टाइप 1 डायबिटीज के क्या लक्षणा नज़र आते है ?

  • असामान्य प्यास का लगना। 
  • लगातार पेशाब का आना। 
  • पेशाब में शुगर की मात्रा का बढ़ना। 
  • थकान या उल्टी की समस्या। 
  • धुंधली दृष्टि की समस्या।
  • योनि में संक्रमण का भय। 
  • मूत्राशय और त्वचा में संक्रमण की समस्या का सामना करना।

अगर आपमें भी गर्भावस्था के दौरान टाइप 1 डायबिटीज के इस तरह के लक्षण नज़र आए या किसी भी तरह की समस्या नज़र आए तो इससे बचाव के लिए आपको बेस्ट गायनोलॉजिस्ट के संपर्क में आना चाहिए। 

प्रेग्नेंसी के दौरान डायबिटीज से ग्रस्त महिलाएं किन बातों का रखें ध्यान !

  • अगर ​डायबिटीज से ग्रस्त महिलाओं की डिलीवरी होती है, तो उन्हे जन्‍म के समय बच्चे के अधिक वजन के होने पर खास ध्यान रखना चाहिए। 
  • टाइप 1 डायबिटीज से ग्रस्‍त मांओं के बच्‍चों में जन्‍मजात बीमारियां या विकार होने का खतरा ज्‍यादा रहता है। हार्ट डिजीज, हाथ-पैरों में विकलांगता और रीढ़ की हड्डी में कोई विकार हो सकता है। इसके अतिरिक्‍त शिशु के विकास और नसों से संबंधित कई समस्‍या भी आ सकती है।
  • डायबिटीक मां के शिशु में हाइपोग्लाइसीमिया या लो ब्‍लड ग्‍लूकोज भी हो सकता है। जन्‍म से पहले ब्‍लड शुगर को कंट्रोल करने के लिए प्रयास करने की वजह से ऐसा हो सकता है। इसमें बच्‍चे का ब्‍लड शुगर तेजी से घटता है और ब्रेन डैमेज होने जैसी जटिलताएं आ सकती है।
  • डायबिटीज से ग्रस्‍त मां के नवजात शिशु में ‘रेस्पिरेट्री डिस्‍ट्रस सिंड्रोम’ (सांस लेने में तकलीफ का सामना करना) की समस्या हो सकती है। डायबिटीज भ्रूण के फेफड़ों को प्रभावित कर सकता है और फेफड़ों के विकास को धीमा कर सकता है। इससे शिशु को रेस्पिरेट्री डिस्‍ट्रेस सिंड्रोम हो सकता है। 

अगर आप अपनी गर्भावस्था की अवधि पूरी करने के बाद पेनलेस नार्मल डिलीवरी की चाहत रखती है तो इसके लिए आपको डायबिटीज के शुरुआती लक्षणों को जानकर इसका इलाज जरूर करवाना चाहिए।

टाइप 1 डायबिटीज से ग्रस्त महिलाएं कैसे रखें अपने खाने का खास ध्यान ?

  • हर दिन लगातार मात्रा में भोजन करने और निर्देशानुसार इंसुलिन लेने से रक्त शर्करा के स्तर में काफी सुधार हो सकता है। यह मधुमेह से संबंधित जटिलताओं, जैसे कोरोनरी धमनी रोग, गुर्दे और नेत्र रोग, और तंत्रिका क्षति के जोखिम को भी कम कर सकता है। 
  • इसके अलावा, ये उपाय शरीर के वजन प्रबंधन पर भी प्रभाव डालते है।
  • हाई शुगर और तली भुनी चीजों का सेवन करने से आपको बचना चाहिए। 
  • प्रयाप्त मात्रा में आपको सब्जियों और फलों का सेवन करना चाहिए।

सुझाव :

टाइप 1 डायबिटीज से ग्रस्त गर्भवती महिलाओं को लुधियाना गैस्ट्रो एन्ड गयने सेंटर का चयन करना चाहिए। और इस दौरान उन्हें हर तरह की समस्या से बचाव के लिए डॉक्टर के संपर्क में आना चाहिए।

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गर्भवती महिला के लिए कैसे जरूरी है डबल मार्कर टेस्ट (Double Marker Test), जानिए क्या है इसकी प्रक्रिया, परिणाम व लागत

गर्भावस्था के दौरान मां और बच्चे के बेहतर भविष्य और स्वास्थ्य को देखते हुए कई प्रकार के मेडिकल टेस्ट का सहारा लिया जाता है। वहीं इन मेडिकल टेस्ट को दो वर्गों में बांटा जाता है। पहले वर्ग में वो सभी टेस्ट आते है, जो जच्चे और बच्चे की सेहत के लिहाज से बेहद जरूरी माने गए है। 

वहीं, दूसरे वर्ग में उन टेस्ट को शामिल किया गया है, जिन्हें डॉक्टर भविष्य में आने वाली किसी परेशानी की आशंका के मद्देनजर कराने की सलाह देते है और डबल मार्कर टेस्ट भी इसी लिए ही करवाए जाते है, तो आज के लेख में भी हम इस टेस्ट के बारे में तमाम जानकारी आपके साथ सांझी करेंगे ;

क्या है डबल मार्कर टेस्ट (Double Marker Test) ?

  • डबल मार्कर टेस्ट की बात करें, तो यह गर्भधारण की पहली तिमाही पर किया जाने वाला रक्त परीक्षण है। खास यह है कि डबल मार्कर टेस्ट नॉन-इनवेसिव स्क्रीनिंग यानि की बिना किसी कट मार्क के किया जाने वाला परीक्षण है। 
  • वहीं इस टेस्ट के जरिए डाउनग्रेड सिंड्रोम, एडवर्ड सिंड्रोम और पटाउ सिंड्रोम जैसे क्रोमोसोम (गुणसूत्र) का पता लगाया जाता है। क्रोमोसोम में किसी प्रकार की कमी होने पर भ्रूण के विकास में बाधा आ सकती है या फिर जन्म के बाद भविष्य में शिशु को किसी प्रकार की स्वास्थ्य समस्या का सामना करना पड़ सकता है। 
  • वहीं कई सारे जीन के समावेश को क्रोमोसोम यानी गुणसूत्र के नाम से भी जाना जाता है।

यदि आप डबल मार्कर टेस्ट करवाने के बारे में और विस्तार से जानना चाहते है तो इसके लिए आपको बेस्ट गायनोलॉजिस्ट डॉक्टर का चयन करना चाहिए।

किन्हे होती है डबल मार्कर टेस्ट की जरूरत ?

  • गर्भवती महिलाएं जो एक विशेष प्रकार के खतरे के अंतर्गत आती है, उन्हें पहले ट्राइमेस्टर में प्रेग्नेंसी डबल मार्कर टेस्ट से होकर गुजरना पड़ सकता है। 
  • इसके अलावा जिन महिलाओं में निम्न बातें नज़र आए उसके लिए उन्हें डबल मार्कर टेस्ट को जरूर कराना चाहिए, जैसे –
  • अगर कोई महिला 35 वर्ष या इससे अधिक उम्र के बाद गर्भवती हुई है, तो उन्हे इस टेस्ट का चयन करना चाहिए। 
  • पिछला शिशु जो गुणसूत्रीय समस्या के साथ पैदा हुआ हो। 
  • अनुवांशिक दोष भी आपको इस टेस्ट को करवाने की तरफ लें जा सकते है।  
  • टाइप-1 डायबिटीज से संबंधित इंसुलिन की समस्या का सामना कर रहीं महिलाएं को भी इस टेस्ट का चयन करना चाहिए।
  • बहुत सी महिलाओं के मन में ये बात बैठी हुई है की डबल मार्कर टेस्ट में काफी पीड़ा का सामना करना पड़ सकता है जिसके चलते वो इस टेस्ट को करवाने से मना कर देती है लेकिन आपको बता दें की ये टेस्ट पेनलेस टेस्ट की कैटेगरी में शामिल है।

डबल मार्कर टेस्ट की प्रक्रिया क्या है ?

  • यह एक ऐसा ब्लड टेस्ट है, जिसे गर्भावस्था के दौरान होने वाले अल्ट्रासाउंड के साथ किया जाता है। 
  • इस टेस्ट की सहायता से चिकित्सक गर्भवती महिला के खून की जांच करके उसमें उपस्थित हार्मोन और प्रोटीन की जांच करते है। 
  • बता दें कि इस जांच में जिस हार्मोन की जांच की जाती है, उसे फ्री बीटा एचसीजी के नाम से संबोधित किया जाता है। 
  • वहीं, जांच में शामिल किए जाने वाले प्रोटीन की बात की जाए, तो इस टेस्ट के दौरान ग्लाइकोप्रोटीन और पीएपीपी-ए (प्रेगनेंसी एसोसिएटेड प्लाज्मा प्रोटीन) का परीक्षण किया जाता है।

डबल मार्कर टेस्ट की लागत क्या है ?

  • इसकी शुरुआती लागत की बात करें तो ये 2,500 से लेकर 3,500 के आस-पास आती है। 
  • वहीं इसकी लागत इस बात पर भी निर्भर करती है कि आप कहाँ रहते है और कौन-से हॉस्पिटल का चयन करते है।

डबल मार्कर टेस्ट के क्या परिणाम है ?

  • डबल मार्कर टेस्ट के परिणाम भविष्य में होने वाले डाउन सिंड्रोम से संबंधित गंभीर जोखिमों को दर्शाते है। इन्हें कुछ इस तरह से समझा जा सकता है, जैसे अगर की गई जांच में फ्री बीटा एचसीजी की मात्रा सामान्य सीमा से अधिक पाई जाती है, तो इसे पॉजिटिव मार्कर माना जाता है। इसका मतलब यह हुआ कि गर्भवती में डाउन सिंड्रोम होने की आशंका अधिक हैं। 
  • वहीं, दूसरी स्थिति में पीएपीपी-ए की मात्रा सामान्य से कम मापी जाती है, तो यह स्थिति भी डाउन सिंड्रोम के लिए पॉजिटिव परिणाम के तौर पर देखी जाती है।

सुझाव :

आप चाहे तो डबल मार्कर टेस्ट की जाँच को लुधियाना गैस्ट्रो एन्ड गयने सेंटर से भी करवा सकते है। 

निष्कर्ष :

डबल मार्कर टेस्ट को करवाना हर गर्भवती महिला के लिए बहुत जरूरी है, वहीं इस जाँच को डॉक्टर के सलाह पर ही करवाए, और खुद की मर्ज़ी से ऐसी अवस्था में इस जाँच का चयन आपको नहीं करना चाहिए।

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डिलीवरी के बाद कैसी डाइट लेने से जच्चे और बच्चे में आएगी तंदरुस्ती ?

अकसर डिलीवरी के बाद हर महिला का एक सवाल होता है की वो ऐसा क्या खाएं की उनके साथ उनका बच्चा भी सेहतमंद रहें, तो अगर आपका भी इसी से मिलता जुलता सवाल है तो इस सवाल का जवाब हम आज के लेख में प्रस्तुत करेंगे ;

डिलीवरी के बाद कैसे रखें खुद का और बच्चे का ध्यान ?

  • डिलीवरी के कुछ दिन बाद आपको अपने बच्चे को बदलते मौसम से बचाना चाहिए और बच्चा अगर ठंड के मौसम में हुआ है, तो उसको अच्छे से गर्म कपडे डाले और गर्मी के रुत में हुए बच्चे को लू से बचाकर रखना चाहिए। 
  • बच्चे को बेवक़्त न नहलाए बल्कि बच्चा जबतक एक महीने का न हो जाए, तब तक उसे नेहलाने की बजाए हल्के गर्म पानी में सूती के कपडे को भिगोकर उसका मुँह हाथ अच्छे से साफ़ करें और खुद भी बेवक़्त नहाने से बचें। 

डिलीवरी के बाद जच्चे और बच्चे को और किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, इसके बारे में जानने के लिए आप गायनोलॉजिस्ट डॉक्टर का चयन जरूर करें।

डिलीवरी के बाद जच्चे की डाइट में किन चीजों को करें शामिल ?

  • डिलीवरी के बाद एक महिला या बच्चे की माँ को अपनी डाइट में लहसुन, हरी पत्तेदार सब्जियां, दलिया जरूर खाना चाहिए। क्युकि इससे ब्रेस्‍ट मिल्‍क ज्‍यादा बनने में सहायता मिलती है।
  • आप दिन में एक बार हरी पत्तेदार सब्‍जी और एक बार दलिया खाएं। इसके अलावा गाजर, ब्राउन राइस, तिल और तुलसी भी लें और हल्‍का भोजन करें। भारी भोजन करने से बचें और दूध, दही और सब्जियां सही मात्रा में लें।
  • डिलीवरी के बाद आपको अंडे का भी सेवन करना चाहिए, क्युकी अंडे में बहुत ज्यादा प्रोटीन होता है जो आपके मांसपेशियों में हो रहें दर्द को कम करने में काफी सहायक माना जाता है। वहीं अगर आप शाकाहारी है तो ऐसे में आप दूध से बने प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल भी कर सकती है। 
  • मेथीदाना भी डिलीवरी के बाद इस्तेमाल करने से काफी फ़ायदा मिलता है, क्युकि इसमें प्रचुर मात्रा में कैल्शियम, आयरन, विटामिन और मिनरल्स मौजूद होते है, जो आपके ब्रेस्ट मिल्क को बढ़ाते है और आपकी सेहत का भी काफी अच्छे से ध्यान रखते है, अगर आप चाहे तो मेथी के लड्डू बनाकर डिलीवरी के बाद कुछ दिन तक खाएं इससे आपको फ़ायदा मिलेगा। 
  • बादाम, ओट्स, घी, खजूर का सेवन भी आप कर सकती है, जिससे डिलीवरी के बाद आई आपके अंदर कमजोरी को ठीक किया जा सकता है।

डिलीवरी के बाद महिलाओं को क्या नहीं खाना चाहिए ?

  • वैसे पेनलेस नार्मल डिलीवरी होने पर महिलाओं को खानपान में ज्‍यादा परहेज बरतने की जरूरत तो नहीं होती है। लेकिन फिर भी आपको मसालेदार चीजें कम खाना है और साथ ही कब्‍ज एवं खांसी पैदा करने वाले पदार्थों से भी दूर रहें।
  • वहीं अगर आपकी डिलीवरी सी-सेक्‍शन से हुई है, तो डॉक्‍टर आपको शुरुआती दिनों में हल्‍का भोजन करने की सलाह दे सकती है। 
  • और आप इस समय कब्‍ज और खांसी करने वाली चीजें तो बिलकुल न खाएं। ऐसा कोई काम न करें जिससे आंखों पर प्रेशर पड़ता हो। अगर आपको सिजेरियन डिलीवरी के बाद कब्‍ज है या आपको अक्‍सर कब्‍ज रहती है, तो पपीता और दूध लें। 
  • खट्टी चीजें न खाएं और हेल्‍दी चीजों को भी सीमित मात्रा में ही खाएं। 
  • कोई भी चीज न तो बहुत ज्‍यादा खाएं और न ही बहुत कम।

सुझाव :

  • यदि आप और विस्तार से जानना चाहती है की आपको डिलीवरी के बाद और किन बातों का ध्यान रखना चाहिए तो इसके लिए आप लुधियाना गैस्ट्रो एन्ड गयने सेंटर के अनुभवी डॉक्टर के सम्पर्क में आ सकते है। 

निष्कर्ष :

उम्मीद करते है की आपको पता चल गया होगा की डिलीवरी के बाद आपको कैसे अपनी सेहत का ध्यान रखना चाहिए और किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, तो अगर आप खुद के और अपने बच्चे के अच्छी सेहत के लिए चिंतित है तो इसके लिए उपरोक्त बातों का अच्छे से ध्यान रखें।

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यदि नार्मल डिलीवरी की है चाहत तो इन बातों का रखें ध्यान !

गर्भावस्था एक ऐसी स्टेज होती है जिसमे महिलाएं अपने संतान की प्राप्ति के लिए काफी खुश होती है। इसके अलावा डिलीवरी को लेकर महिलाओं के द्वारा बहुत से सवाल पूछे जाते है, जिनमे से सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न नार्मल डिलीवरी को लेकर होता है, इसलिए आज के लेख में हम गर्भावस्था के दौरान संतान की प्राप्ति नार्मल डिलीवरी से कैसे कर सकते है इसके बारे में बात करेंगे ;

क्या है नार्मल डिलीवरी ?

  • पेनलेस नार्मल डिलीवरी एक वह प्रक्रिया है जिसमें शिशु का जन्म प्राकृतिक तरीके से महिला के वजाइना से होता है। इसमें किसी तरह की कोई चीरफाड़ की जरूरत नहीं पड़ती है। प्रेगनेंसी के दौरान किसी तरह की परेशानी न होने पर महिला को नार्मल डिलीवरी होती है। यह शिशु के जन्म का सबसे आम तरीका है।
  • नाॅर्मल डिलीवरी के दौरान आपकी ग्रीवा पतली होकर खुलती है। आपका गर्भाशय संकुचित होता है, ताकि शिशु प्रसव नलिका में नीचे खिसक सके और योनि के जरिये जन्म ले सके।
  • शिशु का जन्म नाॅर्मल डिलीवरी से ही कराया जाता है, मगर यदि आपकी गर्भावस्था या प्रसव के दौरान जटिलताएं हो तो सिजेरियन डिलीवरी करवाने की जरुरत पड़ सकती है।

नार्मल डिलीवरी करवाने के लिए किन बातों का ध्यान रखें ?

  • डिलीवरी से पहले अच्छी देखभाल रखें और ऐसी डाॅक्टर का चयन करें, जिनके साथ आप सहज महसूस कर सके।
  • पौष्टिक (हरी सब्जियां, अंडा, जूस) आहार खाने पर खास ध्यान रखें और गैर सेहतमंद भोजनों से बचें साथ ही कैफीन के सेवन को कम करें।
  • गर्भावस्था में कोशिश करें कि आपका वजन स्वस्थ रहें।
  • सक्रिय एवं क्रियाशील रहें, उचित व्यायाम से अपनी ताकत बढ़ाएं। श्रोणि क्षेत्र की मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए व्यायाम करें।
  • सुनिश्चित करें कि आप पर्याप्त नींद लें और आराम करें। आप योग स्ट्रेचिंग और गहन श्वसन व्यायाम भी आजमा सकती है।
  • डिलीवरी के समय परिवार के साथ जरूर रहें। 
  • तनाव से दूर रहें। 
  • उठते और बैठते समय आपको खास ध्यान रखना चाहिए। 
  • किसी भी तरह की बात का चिंतन न करें।
  • शरीर के निचले हिस्से की मालिश करें। 
  • पेरेनियल मालिश करें और इसमें आप बादाम या नारियल का तेल ले सकती है मालिश करने के लिए। 

नार्मल डिलीवरी के लिए और किन बातों का ध्यान रखना चाहिए इसके बारे में जानने के लिए आपको बेस्ट गायनोलॉजिस्ट डॉक्टर का चयन करना चाहिए।

नार्मल डिलीवरी के लिए किन चीजों का सेवन न करें !

कच्चे अंडे, कच्चा पपीता, कच्ची अंकुरित चीजे, शराब, सिगरेट, कैफीन, मछली, कच्चा मांस, घर पर बनी आइसक्रीम, जंक फ़ूड, फ़ास्ट फ़ूड, ज्यादा तेल व मसालेदार आदि चीजों से आपको परहेज करना चाहिए।

नार्मल डिलीवरी होने के संकेत क्या नज़र आते है ! 

  • इसमें आपको पहला संकेत तो ये नज़र आएगा जैसे आपका बच्चा नीचे की तरफ़ आ रहा हो। 
  • बार-बार बाथरूम जाने की ज़रूरत भी आपको महसूस हो सकती है। 
  • जैसे ही आपका बच्चा नीचे की तरफ आएगा वैसे ही आपको लोअर बैक में पैन होना शुरू हो जाएगा। 
  • बच्चे के सिर की वजह से वेजाइनल पर प्रेशर पड़ने लगता है और इससे म्यूकस प्लग निकल जाता है, जिससे भारी मात्रा में वेजाइनल डिस्चार्ज होने लगता है, ऐसा होने का मतलब बिल्कुल साफ़ है की आपके डिलीवरी का समय आ चुका है, वहीं इस डिस्चार्ज की बात करें तो यह पिंक, सफ़ेद या फिर थोड़ा-सा खून से सना हो सकता है। 
  • वॉटर ब्रेक होना मतलब लेबर आने और नार्मल डिलीवरी होने का साइन है, वॉटर बैग का ब्रेक होना मतलब एम्नियोटिक झिल्ली का फट जाना, जिसका मतलब साफ़ है कि अब लेबर शुरू हो चुका है। और नार्मल डिलीवरी किसी भी समय हो सकती है।

नार्मल डिलीवरी के लिए बेस्ट हॉस्पिटल या सेंटर !

यदि आप नार्मल डिलीवरी करवाना चाहते है, तो इसके लिए आप लुधियाना गैस्ट्रो एन्ड गयने सेंटर से जरूर संपर्क करें।

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हॉस्पिटल की कौन-सी 5 सुविधाएं आपकी डिलीवरी को बनाएगी सफल!

 गर्भवती होने के बाद जो डिलीवरी का समय होता है वो हर महिला व उसके परिवार जनो के लिए खुशी का मंजर होता है, इसलिए इस खुशी में किसी भी तरह की बाधा न आए इसके लिए आपको महिला के डिलीवरी से पहले ही हॉस्पिटल की जाँच पड़ताल कर लेनी चाहिए और जिन डॉक्टरों ने डिलीवरी करनी है उनके अनुभव के बारे में भी जानकारी हासिल करना चाहिए। इसके अलावा आज के लेख में हम बात करेंगे की डिलीवरी के दौरान इमरजेंसी के वक़्त हर हॉस्पिटल में कौन-सी पांच चीजे होना बहुत ही महत्वपूर्ण है ;

डिलीवरी से कितने दिन पहले हॉस्पिटल की जाँच करना शुरू करें !

  • जब आपको पता चल जाए की महिला के डिलीवरी को कुछ हफ्ते या महीने रह गए है तो आपको हॉस्पिटल की जाँच शुरू कर देनी चाहिए, और आपको इस बात का ख़ास ध्यान रखना है की आप उस ही हॉस्पिटल का चयन करें जहा वह सब सुविधाएं मौजूद हो जो डिलीवरी के बाद जच्चे और बच्चे दोनों को जरूरत होती है।

इसके अलावा डिलीवरी के दौरान या उससे पहले महिला को कोई परेशानी आ जाए तो इसके लिए महिला को बेस्ट गायनोलॉजिस्ट के सम्पर्क में आना चाहिए।

डिलीवरी के लिए हॉस्पिटल या नर्सिंग होम में कौन-सी पांच सुविधाएं मौजूद होनी चाहिए ?

  • अगर आप हॉस्पिटल चुनने जा रहें है, तो इसके लिए सबसे पहले आपको ये देखना चाहिए की हॉस्पिटल में “मेड‍िकल सुव‍िधा” है या नहीं, क्युकी हॉस्‍प‍िटल में सही मेड‍िकल सुव‍िधा ही जच्चे और बच्चे दोनों को सुरक्षित रख सकती है। इसके अलावा हॉस्‍प‍िटल में साफ-सफाई का प्रबंधन अच्छे से है या नहीं, इस बात का भी ध्यान रखें।
  • आपको हॉस्‍प‍िटल चुनने से पहले उस जगह की “मेड‍िकल टीम” के बारे में भी जानना चाह‍िए। क्युकि बहुत से ऐसे अस्‍पताल भी है, जहां डॉक्‍टर उतने ट्रेन्‍ड में नहीं होते, ज‍िसके चलते ड‍िलीवरी के समय कई तरह की समस्‍याओं का सामना महिलाओं को करना पड़ता है।
  • आप ज‍िस हॉस्‍प‍िटल का चयन करें उसमें इस बात का खास ध्यान रखे की वहां पर “एनआईसीयू” की फैस‍िल‍िटी जरूर हो, क्‍योंक‍ि जन्‍म के बाद नवजात श‍िशु में कई तरह की समस्‍याएं होती है, जैसे सांस लेने में द‍िक्‍कत, प्रीमैच्‍योर ड‍िलीवरी के कारण लो बर्थ वेट आद‍ि।
  • ड‍िलीवरी की स्‍थि‍त‍ि में “हॉस्‍प‍िटल की लोकेशन” बहुत ही ज्यादा मायने रखती है, क्‍योंक‍ि ड‍िलीवरी के समय क‍िसी भी वक़्त अस्‍पताल जाने की जरूरत पड़ सकती है। तो ऐसे में अगर अस्‍पताल दूर है तो आपको परेशानी हो सकती है। इसलिए जरूरी है की आप अपने आसपास के नर्स‍िंग होम और हॉस्‍प‍िटल के संपर्क में रहें।
  • हॉस्‍प‍िटल का चयन करने से पहले इस बात का ध्यान रखें की उस हॉस्पिटल में “हाई र‍िस्‍क प्रेगनेंसी” की सुव‍िधा जरूर होनी चाह‍िए। वही हाई र‍िस्‍क प्रेगनेंसी की स्‍थ‍ित‍ि में इमरजेंसी ब्‍लड की जरूरत पड़ सकती है इसके अलावा हाई र‍िस्‍क प्रेगनेंसी के वार्ड नॉर्मल वॉर्ड से बिल्कुल अलग होते है।

अगर आप उपरोक्त बातो का ध्यान रखे है, तो आपकी पेनलेस नार्मल डिलीवरी होने की संभावना और ज्यादा बढ़ जाती है।

सुझाव :

  • यदि आप डिलीवरी के लिए किसी अच्छे सेंटर या हॉस्पिटल का चयन कर रहें है तो इसके लिए आप लुधियाना गेस्ट्रो एन्ड गयने सेंटर का चयन कर सकते है। वही आपको बता दे की इस सेंटर में “हाई र‍िस्‍क प्रेगनेंसी वार्ड” और अन्य “वार्ड” भी मौजूद है।
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Pregnancy Shuchita Batra

नॉर्मल डिलीवरी के बाद टांके लगाने की क्या है पूरी प्रक्रिया ?

अकसर आपने सुना ही होगा या गर्भवती महिलाएं तो इससे गुजर चुकी है। तो वही डॉक्टर अकसर महिलाओं की डिलीवरी के बाद उनके योनि में टांके जरूर से लगाते है, फिर चाहे वो टांके गहराई से लगे हो या ऊपरी तौर पर लगें हो।

पर सोचने वाली बात है की जब डिलीवरी नार्मल हो जाती है फिर भी टांके क्यों लगाए जाते है, और इन टांको को लगाने की जरूरत कब पड़ती है इसके बारे में बात करेंगे इसलिए इसके बारे में जानने के लिए आर्टिकल को अंत तक जरूर से पढ़े ; 

डिलीवरी के बाद महिलाओं को टांकों की जरुरत क्यों पड़ती है ?

  • यदि आपके पेरिनियम क्षेत्र की त्वचा या चीरा बहुत ज्यादा फट जाए तो उत्तकों और त्वचा को ठीक करने के लिए टांकों की जरुरत होगी। 
  • वही पेनलेस नॉर्मल डिलीवरी के दौरान आपकी योनि और गुदा के बीच के मांसपे​शीय क्षेत्र (पेरिनियम) में बहुत ज्यादा खिंचाव होता है।
  • अक्सर यह खिंचाव इतना ज्यादा होता है कि त्वचा फट जाती है। इसलिए भारत में अधिकांश डॉक्टर जब पेरिनियम क्षेत्र में खिंचाव होने लगता है तो वहां स्वयं शल्य चीरा लगा देती हैं। 
  • यदि आपके पेरिनियम क्षेत्र की त्वचा या चीरा बहुत ज्यादा फट जाए तो उत्तकों और त्वचा को ठीक होने में मदद के लिए टांकों की जरुरत होगी।

नॉर्मल डिलीवरी के बाद टांके खुलने पर क्या होता है ?

  • नया ऊतक विकसित होगा और यह धीरे-धीरे उस जगह को भर देगा जहां टांके लगे थे। यह प्रक्रिया हर महिलाओं में अलग-अलग होती है और यह इस बात पर निर्भर करती है कि घाव कहां है, गैप कितना गहरा था और कोई संक्रमण कितने समय से मौजूद था। तो वही टांके खुलने पर नया ऊतक लाल दिख सकता है और इसमें थोड़ा खून भी बह सकता है।

यदि किसी कारवश आपके टांके खुल जाए या उनमे गंभीर दर्द हो तो इससे बचाव के लिए महिलाओं को गायनोलॉजिस्ट के पास जाना चाहिए।

डिलीवरी के बाद लगे टांकों को ठीक होने में कितना समय लगता है ?

  • आमतौर पर टांके डिलीवरी के दो हफ्तों के अंदर अपने आप गल जाते हैं, मगर चीरे की जगह को पूरी तरह ठीक होने में और ज्यादा समय लगता है।
    चीरे का घाव कितनी जल्दी ठीक होगा, यह इस बात पर निर्भर करता है कि आपकी त्वचा कितनी गहरी फटी है या चीरा कितना गहराई से लगा है।

डिलीवरी के बाद लगे टांके में महिलाओं को अपना ध्यान कैसे रखना चाहिए ?

  • यदि डिलीवरी के बाद आपको टांके लगे हों तो अस्पताल से घर आने के बाद कोशिश करें कि आप ज्यादा देर तक न बैठे, खासतौर पर शुरुआती कुछ दिनों तक। क्युकि बैठने से आपके शरीर का वजन श्रोणि क्षेत्र पर पड़ता है। इसलिए आप बैठने की बजाय खड़े रहने या अर्धलेटी अवस्था में बैठने की कोशिश करें।
  • वही डिलीवरी के बाद डॉक्टर आपको जो एंटिबायोटिक दवाएं दें उनका कोर्स पूरा करें और दवाएं समय पर लें। 

सुझाव :

यदि डिलीवरी के दौरान आपको टांके लगे हो और उन टांकों में किसी भी तरह की समस्या आए तो इसके लिए आप लुधियाना गैस्ट्रो एन्ड गयने सेंटर का चयन जरूर से करें।

निष्कर्ष :

डिलीवरी के दौरान टांके अगर आपको लग गए है तो घबराने की जरूरत नहीं है बल्कि उन टांकों को ठीक करने के लिए डॉक्टर ने जो दवाई आपको बोली है उसे समय-समय पर लेते रहे। और किसी भी तरह की समस्या आने पर डॉक्टर का जरूर से चयन करें।

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Pregnancy

प्रेगनेंसी के तीसरे महीने के क्या है लक्षण, शिशु विकास और सावधानियां ?

अकसर विवाहित जोड़ो में ये जानने की उत्सुकता होती है कि अगर महिला के गर्भ में बच्चा पल रहा है तो वो पहले तीसरे महीने में कैसा होगा, उसकी अंदरूनी बनावट कितनी बननी शुरू हुई होगी उसका वजन कितना होगा, तो अगर आप भी जानना चाहते है कि आपकी संतान पहले तीन महीने में कैसी है और आगे कैसी होगी, तो वही इन प्रेगनेंसी के दौरान महिलाओं को अपना ध्यान कैसे रखना है इसके बारे में भी बात करेंगे, इसलिए आर्टिकल को अंत तक जरूर से पढ़े ;

प्रेगनेंसी के तीसरे महीने शिशु का विकास कैसे होता है ?

  • प्रेगनेंसी के तीसरे महीने में शिशु लगभग 2.5 इंच लंबा होता है। शिशु का वजन लगभग 25-30 ग्राम होता है।
  • वही बच्चे के पहले महीने में मस्तक, दूसरे महीने में हाथ आदि अंगों की रचना होती है। तीसरे महीने में नाखून, रोम, हड्डी, लिंग, नाक, कान, मुंह आदि अंग बन जाते हैं।

प्रेगनेंसी के तीसरे महीने महिलाओं में क्या लक्षण दिखाई देते है ?

  • आपके शरीर में हार्मोनल बदलाव की वजह से पहले तिमाही में आपका स्तन बढ़ने लग जाता है और नाज़ुक भी हो सकता है, जिस वजह से स्तन में सूजन की समस्या उत्पन हो जाती है।
  • लगातार पेशाब का आना, इसलिए ऐसे में कॉफ़ी, हरी और काली चाय, सॉफ्ट ड्रिंक्स से परहेज़ करें।
  • तीसरे महीने में पीठ दर्द और थकान से राहत पाने के लिए नियमित व्यायाम करें।
  • ऐसे अवस्था में अक्सर मन बदल जाता है महिलाओं का इसलिए ऐसे में उन्हें अपनों के प्यार की जरूरत होती है।
  • प्रेगनेंट होने पर आपको अपने रोजमर्रा के कार्यो को वैसे ही जारी रखना है जैसे आप पहले करते थे।

अगर प्रेगनेंसी के दौरान आपके लक्षण कुछ ज्यादा ही गंभीर नज़र आए तो इससे बचाव के लिए आपको गायनोलॉजिस्ट (महिलाओं की विशेषज्ञ डॉक्टर) का चयन करना चाहिए।

प्रेगनेंसी के तीसरे महीने महिलाओं को कौन-से आहार का सेवन करना चाहिए ?

  • प्रेगनेंसी के तीसरे महीने प्रेगनेंट महिलाओं को फल, सब्जी और फाइबर से भरपूर पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
  • महिलाओं को प्रेगनेंसी का तीसरा महीना लगते है उन्हें खूब पानी का सेवन करना चाहिए।
  • प्रेगनेंसी के तीसरे महीने में महिलाओं को कैल्शियम का खूब सेवन करना चाहिए।
  • आप प्रेगनेंसी के दौरान लीन मीट यानि की जिसमे कम मात्रा में फेट होता है उसका सेवन कर सकती है। लेकिन हां आपको ऐसे में समुंद्री खाने या सूअर के मिट से परहेज करना चाहिए।
  • यदि आप पेनलेस नार्मल डिलीवरी चाहती है तो इसके लिए आपको उपरोक्त खाने की चीजों को अपने रोजाना के आहार में शामिल करना है।

प्रेगनेंसी के तीसरे महीने महिलाओं को कैसे रखना चाहिए खुद का ध्यान ?

  • जंक फ़ूड और कोल्ड्रिंक्स से परहेज करें।
  • ढीले कपडे पहने।
  • रोजाना कम से कम नौ से दस घंटे जरूर सोए।
  • डाइटिंग से बचें और पेट पर ज्यादा दबाव न डाले।
  • सिगरेट और शराब से दूर रहें।
  • हाई हिल सैंडल पहनने से बचें।
  • डाइट में हेल्दी चीजों को शामिल करें।
  • रोज सुबह थोड़ा बहुत प्लेन जमीं पर जरूर से टहलें।
  • किसी भी तरह की दवाई लेने से पहले डॉक्टर से जरूर सलाह लें आदि।

अगर आप चाहते है की आपकी डिलीवरी में किसी भी तरह की बाधा न आए तो इसके लिए लुधियाना गैस्ट्रो एन्ड गयने सेंटर का चयन जरूर से करें।

निष्कर्ष :

डिलीवरी से पहले प्रेगनेंट महिलाओं को किन बातों का खास ध्यान रखना चाहिए इसके बारें में हम आपको उपरोक्त बता ही चुके है।

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Pregnancy Shuchita Batra

Understanding the Risks and Promoting a Healthy Pregnancy: Pregnancy and Obesity

Obesity is a global issue that affects both an individual’s general health and the health of a developing foetus during pregnancy. Understanding the dangers of pregnancy and obesity is crucial since more than 50% of women of reproductive age are overweight or obese. This article will go through the appropriate weight increase, the risks of having a high body mass index (BMI) during pregnancy, and how to have a healthy pregnancy and why should you connect with a Gynaecologist in Ludhiana and a Gastro Doctor in Ludhiana

 

What constitutes obesity when pregnant?

When a person’s BMI is 30 or over, they are regarded as obese. Multiplying your weight in pounds by your height in inches squared by 703 yields your BMI. Alternately, multiply your height in metres squared by your weight in kilogrammes. Pregnancy difficulties resulting from a high BMI might have an impact on both the mother and the foetus.

 

How can a high BMI affect pregnancy?

A high BMI during pregnancy raises the risk of a number of pregnancy problems, including:

 

  • Miscarriage, 
  • Stillbirth
  • recurrent miscarriage
  • Gestational diabetes
  • Preeclampsia
  • Heart problems
  • Sleep apnea

 

The need for a cesarean section and the risk of complications such as wound infections

Furthermore, having a high BMI during pregnancy has been related to an increased risk of a variety of health issues for the infant, including:

 

  • Congenital conditions
  • Being much larger at birth than the average (fetal macrosomia)
  • Growth issues
  • Asthma as a child
  • Obesity in children is a growing problem.
  • Cognitive difficulties and developmental delays

 

Understanding the possible complications with the help of a Gynaecologist in Ludhiana or a Gastro Doctor in Ludhiana can help one take the necessary steps to promote a healthy pregnancy.

 

How much weight should a pregnant woman put on?

 

The pre-pregnancy weight and BMI are key factors to take into account when figuring out how much weight to acquire throughout pregnancy. A healthcare professional may assist in figuring out what’s ideal for a certain person and managing their weight throughout pregnancy. A Gynecologist in Ludhiana could advise concentrating on preventing excessive weight gain during pregnancy rather than advising a certain quantity of weight growth.

 

If you have a BMI of 30 or above and are carrying one baby, the ideal weight gain for a single pregnancy is 11 to 20 pounds (approximately 5 to 9 kilogrammes). If a woman has a BMI of 30 or above and is carrying twins or multiples, the recommended weight gain is 25 to 42 pounds (11 to 19 kilograms).

 

Will one need specialized care during pregnancy?

 

If an individual has a BMI of 30 or higher, their healthcare provider will closely monitor their pregnancy. They might recommend early testing for gestational diabetes, fetal ultrasound changes, and obstructive sleep apnea screening. Regular prenatal visits can help healthcare providers monitor the mother’s and baby’s health.

 

What steps can one take to promote a healthy pregnancy?

 

One can limit the impact of having a high BMI on their health and their baby’s health by:

 

Scheduling a preconception appointment: If an individual has a BMI of 30 or higher and is considering getting pregnant, talking to their healthcare provider can help. The provider might recommend a daily prenatal vitamin and refer to other health care providers, such as a registered dietitian, who can help reach a healthy weight before conception.

Seeking regular prenatal care: Prenatal visits can help monitor the mother’s and baby’s health. Informing the provider about any medical conditions they have and discussing how to manage them is crucial.

 

Eating a healthy diet: Working with a health care provider or a registered dietitian to maintain a healthy diet and avoid excessive weight gain is important to maintaining good health. A healthy diet can help prevent chronic conditions like heart disease, type 2 diabetes, and cancer. It can also help manage health conditions such as high blood pressure and cholesterol.

Working with a healthcare provider or a registered dietitian can help you develop a personalized nutrition plan tailored to your unique needs, preferences, and health goals. They can help you identify foods that are nutrient-rich and low in calories while also helping you avoid foods high in saturated and trans fats, added sugars, and sodium.

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Gynecologist Painless Normal Delivery Pregnancy Shuchita Batra

Painless Delivery: Benefits of Painless Regular Delivery

The beginning of a great journey is becoming a mother. With the arrival of your bundle of joy, the incredible bond you have enjoyed with your unborn child for the past nine months comes to a head. However, the birthing process that occurs when someone crosses over is frequently terribly painful. New women frequently experience fear during natural birth. Although an elective C-section was previously the only option, modern science has made some ground-breaking strides that may help reduce labor pain to a manageable degree. Epidural analgesia, sometimes known as painless birth, is only an option for regular deliveries.

What is Painless Delivery?

It is possible to have a painless birth by using a form of localized anesthesia that reduces discomfort during natural labor. The mother’s lower back is injected to administer the epidural anesthetic. It takes the drug 10 to 15 minutes to begin working. For women who would otherwise opt for a C-section but have a lower pain threshold, this is a potential alternative.

How is anesthesia administered during an epidural?

While getting the epidural, you might have to sit still with your back slightly arched. By putting a tiny tube into the lower portion of your spinal cord, the Painless Normal Delivery Doctors in Punjab will catheterize your lower back. To deliver epidural anesthesia during labor, the needle is taken out and the catheter is taped into place. When you are in active labor, your gynaecologist will give you an epidural, which numbs your pelvis and everything below it while you’re still conscious. You should be warned that it does not completely relieve pain, though.

The Benefits of an Epidural

  • Women who have painless delivery have a chance to give birth naturally with only a few interventions. It has contributed to a decrease in the number of elective C-sections performed in India.
  • A woman can choose to receive an epidural during labor if she believes she can’t manage the pain, is exhausted from pushing, or has an emergency that might need an urgent C-section.
  • It enables the mother to concentrate on giving birth by reducing pain. It is a relaxing aid and can minimize the tiredness and irritability that most women experience during childbirth, lowering the likelihood of post-partum problems.
  • It helps the baby descend naturally by relaxing the pelvic and vaginal muscles.
  • It also helps to lower the mother’s blood pressure, which would otherwise rise during labor to riskily high levels.

Epidural Side Effects or Risks

  • While obtaining an epidural is completely safe for both the mother and the unborn child, some people may feel fever, breathing problems, nausea, dizziness, back pain, and shaking.
  • The new mother may experience severe headaches that resemble migraines as a result of some epidural leakage into the spine.
  • The duration of labor may be extended if an epidural is used.
  • The woman could develop urine incontinence following birth. Then, a catheter might be used.
  • It may take some time before you can walk because it makes your entire lower body numb.

Conclusion: Using Entonox, which is nitrous oxide and oxygen delivered through a breathing mask, and water delivery are two additional options for painless deliveries. Many women have had wonderful natural birth experiences thanks to painless delivery techniques like epidurals. Only after carefully assessing the advantages and downsides and discussing the procedure with Painless Normal Delivery in Ludhiana should you decide to proceed.

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Top 8 Pregnancy Exercises for a Painless Normal Delivery

Exercise has turned into an important part of our daily routine to maintain a healthy and balanced lifestyle. Pregnant women are continuously looking for safe, effective activities that will enable them to deliver their baby normally and return, after the baby is born, to their pre-pregnancy habits and work.

Are pregnant exercises for a Painless Normal Delivery available to all women?

Exercise is recommended for mothers with particular medical conditions to ensure a Painless Normal Delivery in Ludhiana. These mainly include

  • Moms with diseases including diabetes, heart problems, or asthma.
  • Moms who had preterm births, hemorrhage, or earlier miscarriages during their pregnancies.

Are all types of exercise safe during pregnancy?

Even while the majority of workouts and sports can be used as pregnant exercises for normal delivery, there are a few that must be avoided:

  • Such as football and volleyball, are contact sports.
  • Exercises that call for excessive breath holding.
  • Jumping, hopping, and other bouncing-related activities

What pregnancy exercises are recommended for a healthy delivery?

How at ease you are with a fitness regimen is something only you can decide for yourself. But make sure to always talk to your doctor in advance about your intended fitness routine or pregnant yoga for a normal birth!

Moms of all ages can do the following general exercises:

  1. Walking During Pregnancy: Walking has been shown to provide incredible health benefits. Walking calms you down improves digestion and its related health issues, and also controls blood pressure for pregnant women.
  1. Squats During Pregnancy: Any woman who warms up with squats is aware of how effective this seemingly basic workout is. Squats during pregnancy help your pelvic region contract and relax to reduce the pain of delivery.
  1. Kegel Exercises for Pregnancy: Kegel exercises are designed to strengthen the muscles in your pelvic floor. This is essential for both a healthy delivery and after recovery.

Look up the following evergreen poses:

  • Stick Pose – Yastikasana
  • Twisted pose – Vakrasna
  • Butterfly pose – Bhadrasana
  • Chair pose – Utkatasana
  • Mountain pose – Parvatasana
  1. Pelvic Tilts During Pregnancy: Now is the time to use your yoga mat. Pelvic tilts will help strengthen your back muscles and are also quite helpful during labor. Simply stoop down and place your knees on the ground.
  1. Forward Leaning During Pregnancy: This exercise, which can be done up to the seventh or eighth month of pregnancy, is said to help gently move your baby into the proper position for birth.
  1. Opening Hips Squat During Pregnancy: This deep squat is a crucial exercise for a healthy birth and will help you release energy through your pelvic region. Stand with your feet shoulder-width apart and flex your knees to complete a normal squat.
  2. Swimming While Pregnant: Swimming keeps you in shape while assisting your body in adjusting to pregnancy. During the third trimester, it is very beneficial for pregnant women to unwind in a pool to ease the pressure on their backs.

What are you still holding out for? Start the journey to a Painless Normal Delivery now!

The following activities should inspire you to exercise while pregnant to have a healthy baby. Always exercise sensibly and with guidance from a knowledgeable friend or coach.

Top Painless Normal Delivery Doctors and Gynecologist in Punjab is here to guide you through the exciting early stages of pregnancy, from week-by-week expert guidance on the pregnancy calendar to tips for taking care of a new baby.

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Do You know? the Benefits of Almond Milk while Pregnancy!

When you find out you’re pregnant, the first thing you should do is make sure you’re eating a healthy, balanced diet for the baby’s best nutrition. There are many options to choose from, including various milk varieties, if you are reconsidering your eating options to make healthier decisions.

Almond milk has been around for a very long time, but recently it has become more and more popular. For individuals who are lactose intolerant, want to add diversity to their diet, or just like the consistency and flavor of almond milk, it’s a great healthy drink option.

How many calories does almond milk contain?

Almond milk has fewer calories in comparison to cow milk. You must therefore include it in your diet if you want to keep a healthy balance. It also contains calcium, zinc, phosphorus, and riboflavin.

Antioxidants: Almond milk contains a lot of vitamin E, an antioxidant that lessens oxidative stress during pregnancy.

Healthy Heart: A respectable level of omega-3 fatty acids are present, which helps to maintain the health of the heart.

Good for Bone Health: Almond milk is a great source of calcium, which will help to fulfill the rise in calcium requirements and so keep your bones healthy and strong.

Prevents High Blood Pressure: Preeclampsia can be brought on by high blood pressure, which is a severe worry during pregnancy. In addition to being high in calcium, almond milk also contains magnesium, which aids in regulating blood pressure.

Helps manage Gestational Diabetes (GDM):  Almonds have a low glycemic index, making them a perfect choice for controlling blood sugar levels during pregnancy. 

Good for Vegans: Almond milk is a good choice if you’re a vegan and you’re not allowed to consume any dairy products. You may use it as milk, in smoothies, and gravies.

Healthy Skin: Almond milk’s vitamin E helps to maintain healthy skin by reducing pigmentation and pimples.

Long shelf life: Almond milk does not require refrigeration for storage. As a result, taking it with you while traveling, working, or waiting for scans, exams, etc., is a great and easier alternative.

How Should You Make Your Almond Milk?

You can add more flavor with a little cinnamon or cocoa powder to boost the flavor. If at all possible, prepare your almond milk, but if not, it is also easily found at grocery stores. It is available in various flavors, sugar-free varieties, calcium-enriched varieties, etc. Nevertheless, preservatives will be present.

How much almond milk is acceptable to drink while pregnant?

Almond milk is generally considered safe to consume while pregnant, except for people who have a history of allergies. However, it is advised to consume it in moderation to prevent any gastrointestinal issues. Make sure to go by the recommendations for a healthy, balanced diet so that you can take pleasure in the best aspects of your life.

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Pregnancy Shuchita Batra

What are the risk factors related to obesity during pregnancy?

There is no doubt that having a high body mass index during the time of pregnancy can badly impact the health of you and your baby as well. So you should make sure to stay away from problems like obesity during the pregnancy period. If you want to take some precautionary tips, then you can get in touch with a Gynecologist In Ludhiana at Ludhiana Gastro and Gynae Centre.

Moreover, they have completed more than ten thousand Painless Normal Delivery in Punjab. And according to the experts of that clinic, pregnant mothers should consume shatavari for breast milk as it promotes the prolactin hormones, which helps to improve breast milk production.

Can high BMI affect pregnancy?

According to some scientific studies, having a high body mass index can cause issues with fertility when a woman is obese, so at that time, chances are higher that she will take a long time to get pregnant. Additionally, a higher body mass index can also make your in vitro fertilization treatment unsuccessful.

How can high BMI affect pregnancy?

As having a high BMI can lead to many complications during pregnancy, and those are:

  • Higher chances of Miscarriage
  • Gestational diabetes can occur
  • High blood pressure can damage your organs and affect pregnancy very badly
  • Heart problems can occur
  • Sleep apnea
  • Risk of C-section complications, such as wound infections

How could obesity affect a baby?

Having a high body mass index can create several types of health complications for a baby, and those are:

  • Congenital disorders
  • fetal macrosomia can occur where the size of the baby is significantly larger than average at birth time
  • Physical Growth problems
  • Childhood asthma can occur
  • Childhood obesity is also common
  • Delays in the development of body parts can occur

How much weight should you gain during pregnancy?

You can consider checking your body mass index before the pregnancy because that will give you an idea about how much weight you need to gain during your pregnancy period. And make sure to get help from a professional doctor to know about the dietary plans that can manage your body weight and the health of your organs.

  • Single pregnancy

According to health professionals, your body mass index is around thirty while carrying a baby. So at that time, you need to gain about eleven to twenty pounds. In other words, five to nine kilograms.

  • Multiple pregnancies

If your body mass index is around thirty or higher than this and you are carrying twin or multiple babies at a particular time, you have to gain around twenty-five to forty-two pounds ( about 11 to 19 kilograms).

However, you have to keep in mind that you do not need to gain excessive weight because that can cause issues with your pregnancy.

Final words

Ludhiana Gastro and Gynae Centre provide you with excellent precautionary tips to stay away from the common issues during pregnancy such as obesity.

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Health Pregnancy Shuchita Batra

Why it is essential to consume nutritional supplements during IVF treatment

According to many studies and health professionals, a balanced diet and proper intake of all necessary vitamins is a key to getting positive outcomes of in vitro fertilisation treatment. To start a successful pregnancy journey, you can get consultancy from a Gynaecologist In Ludhiana at Gastro and Gynae Centre. And experts of this centre will help you with Painless Normal Delivery in Punjab.

Moreover, if you are facing problems like low milk production, then you can take shatavari for breast milk. However, if you will consume all the necessary ingredients, then you do not need to worry about it.

These are the main benefits of consuming supplements or a proper diet

  • Promote production

If you are taking vitamins A, D, E, and K or a properly balanced diet, then chances are high that it will enhance fertility and egg production in your ovaries. But, you should avoid overconsumption of any supplement because it can cause side effects rather than giving positive outcomes. So before starting to take any supplement, make sure to get advice from an expert about the intake of doses because that will help to get your desired results without confronting any health issues.

  • Ovarian follicle survival

When you will take vitamin d supplements or will take them in a natural

process, then it will help to improve the survival rates of ovarian follicles.

Additionally, it will improve not only your health but also the health of your

baby. But, if you are unable to maintain a good level of vitamin d, then

Chances are high that your in vitro fertilisation treatment will not be successful.

  • Prevent problems like miscarriage

In some cases, when women do not consume a good amount of folic

acids so, at that, they can face some issues like early birth, miscarriage, and birth defects. So you need to make sure to consume folic acids writer

in the form of supplements or diet. But before taking any supplement,

get a consultation from an expert because that will provide assistance in making better selections of supplements.

  • Improve the quality of eggs

When your body is getting proper nutrition in any form, such as supplements or natural substances, then it helps to improve the quality of eggs, and ultimately that increases the success rates of in vitro fertilisation treatment. When you take a proper diet and nutrition so, then your body produces more DHEA, and that helps to make eggs stronger.

 

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Gynecologist Pregnancy

Gynae suggested tips to enjoy the painless normal delivery with ease

Congrats on being pregnant!

Indeed, there’s nothing else that can be compared to having your own child growing inside you. The responsibility to grow your life, experience different stages of pregnancy, feel their kicks, talk to them, and see the joy everyone has on their faces to welcome the little one. But there are two sides to everything, and the same goes for pregnancy. Most pregnant women talk to their  Gynecologist In Ludhiana about labor pain and how to manage it. Thankfully, the choice of painless normal delivery with advanced technology and approach has made everything much better.

The gynecologist suggested tips to have a painless normal delivery

Under the supervision of Dr. Shuchita Batra, the entire approach for the Painless Normal Delivery can be planned with utmost comfort and ease. So, to know more about the same and get your pregnancy journey going in the right direction, you should follow the given things:

Tip 1: Relief from stress through yoga

During pregnancy, practicing yoga is extremely beneficial for the well-being of your and your child. You should start practicing the following:

  • Bhramari Pranayama
  • Baddhakonasana

If you don’t know the right technique, then you better take professional assistance to the mudras the correct way.

Tip 2: Get medicines only after consulting the doctor

You can easily get over-the-counter medications to deal with pain or unwanted symptoms during pregnancy. But don’t make any wrong decisions by trying to self-medicate. So, before you take any medication, you need to consult the doctor right away.

Tip 3: Self-hypnosis

Self-hypnosis is helpful for the pregnant mother. The technique allows the human mind to keep itself in the right state and have better control over the body. Most importantly, it allows the pregnant mother to enjoy the childbirth experience and enjoy each & every step of the journey. To do this, you need to spend at least 30 minutes isolated and in a comfortable state to enjoy this phase. Additionally, practice breathing in & out to enjoy the journey in an exciting manner.

Tip 4: Focus on breathing

While you do yoga, it’s essential to practice breathing in a systematic manner. You need to breathe in & out to keep yourself in a calm state. You need to be gentle and do this for enough time that makes you feel comfortable.

Tip 5: Positive mindset goes a long way

Being positive is extremely crucial. It’s essential to set your mind towards those things that give you a good vibe and let your mind flow with the right thoughts. So, every small step that you take during pregnancy lets you be in a better state.

Final word

Along with these points, it’s essential that you keep yourself surrounded by your loved ones. This way, your mental and physical well-being is all ready for you to deal with the stage of painless normal delivery.

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Gynecologist Painless Delivery Pregnancy Shuchita Batra

Detailed gynae guide on planning for painless normal delivery

Enjoy the joy of being pregnant!

No doubt, pregnancy is one of the most exciting phases. To enjoy every bit of the same you need to have the expertise of the best gynae doctor in Ludhiana by your side from start to end. But for pregnant women, this joyous side does bring one stressful side and that is labour pain. The women undergoing labour can get themselves into the procedure of normal delivery process through certain essential steps.

Take care during 9 months of pregnancy

Pregnancy is an important part of a woman’s life and enjoyable phase. Thankfully the revolving and updated technology have allowed pregnant women to ease the labour pain with Painless Normal Delivery in Ludhiana. To get enlightened about the same you should consult the gynecologist and make sure to not miss out on the appointments. In case there’s any problem then do discuss the same with your gynae right away.

Did you know?

After the pregnancy, many mothers complain about lactation i.e. insufficient breast milk. And if that happens then are natural lactation supplements available in the market that are safe for mothers and babies? But, before you take any of these supplements make sure to consult the doctor about the same.

Techniques for painless normal delivery suggested by gynecologist

  • Relax with yoga

Pregnancy can be stressful but you need to keep yourself calm and relaxed. So, for that, there’s nothing better than practicing yoga. You should practice Bhramari Pranayama, and Baddhakonasana to reduce pain.

Be cautious!

Any type of medication should not be taken on your own as it can be harmful to you and the infant.

  • Exercise make the body and mind calm

Just like yoga, doing exercise is a great way to keep the body and mind calm. Most importantly, it keeps the entire body in a balanced state and helps things to get much easier & effective. Moreover, the benefits of exercise can be noticed through:

  • Healthy placenta
  • Improve digestion
  • Improve respiration
  • Decrease heartburn
  • Remove tiredness
  • Gather information about labour and delivery

The concept of painless childbirth is still a new phenomenon for many. But, the imperative part is to keep the human mind and body in control. For a joyful childbirth experience, it’s important to keep yourself aware of every minute of information that’s essential. Essentially you should try to de-stress and relax at every step of pregnancy. Along with that gather all the necessary information about the different phases of pregnancy that includes labour and delivery.

Additionally, it’s important to start in advance so that the body is prepared when the time comes.

  • Keep yourself positive

Pregnancy can be tough but that does not mean you should let negative thoughts come to your mind.

Have any doubts?

Schedule an initial consultation at Ludhiana Gastro & Gynae Centre,  Don’t hesitate to ask any question that comes to your mind.

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Pregnancy Shuchita Batra

Low Supply Of Milk For Breastfeeding And How To Increase It?

Do you know the best way to ensure a healthy supply of breast milk is to start early? Yes, breastfeed your child frequently and also make sure that your baby is latching on to it properly.

There are many women who have difficulty having a healthy supply of milk, especially during the early weeks of breastfeeding. Get proper High risk Pregnancy Care Treatment In Punjab and find the solution for such a situation.

With problems in breastfeeding, most mothers are left with no options but to move towards weaning or formula feeding.

What Are The Main Causes Of The Low Supply Of Milk Production In Women?

There are many reasons why we see an inadequate amount of milk production in women for breastfeeding. Meet a Gynaecologist Doctor in Ludhiana to check the real issue of a low supply of milk. Some of the common causes are:

  1. Having delays in breastfeeding the child after the delivery. Or if there is a separation between the mother and child, such as due to requirements of shifting the baby to the special care nursery. Also, if the mother is unwell right after the delivery.
  1. There is a poor attachment between the baby and the breast, which happens for many reasons, including flat or inverted nipples, a sleepy baby because of jaundice, a tongue or lip tie or prolonged or difficult delivery.
  1. A low supply of milk can also happen if the mother is unwell because of certain issues such as retained placental tissues, mastitis or large blood loss after the mother births the child.
  1. If the mother has incorporated a scheduled or timed feeding instead of feeding the child as per their demand.
  1. If the woman is taking an oral contraceptive pill that contains estrogen in it.
  1. If the mother is corporating both formula feeding as well as breastfeeding.
  1. If the mother is skipping breastfeeds, instead offer supplement formula feed. And also not storing the breast milk at the time to make sure that the supply continues to meet the demand of the child.
  1. If the mother has been using a nipple shield or dummies for a very long period of time.
  1. If the mother has a habit of smoking.

How To Increase Milk Supply For Breastfeeding?

These are some common tips that might help you increase the milk supply for breastfeeding.

  1. You should make sure that the baby is attached to the breast and remove the milk without any difficulty from the nipple.
  1. You should be prepared to feed your baby more often. You would have to breastfeed on demand every 2 – 3 hours at least eight times in 24 hours.
  1. You should try to switch your baby from one breast to another after some time. You should offer each breast at least twice.
  1. You should ensure that you emptied your breast well in each feeding or pumping session. You can also store your breast milk to ensure that you do not go longer than 5 hours without the removal of milk.

 Final Comments

Contact Gynae And Uro Clinic and book your appointment now to learn more about lactation post delivery.

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Pregnancy Shuchita Batra

Act immediately and reduce your high-risk pregnancy chances

How to take care of early high-risk pregnancy?

Be it early or high-risk pregnancy, it’s important to be prompt every time. Otherwise, you are giving it the chance of increasing complications. A high-risk pregnancy is problematic for mother and child. You need to get yourself medical assistance from one of the best gynae doctor in Ludhiana to make the entire process manageable. Therefore, it’s all about being careful and taking quick action to ensure you don’t have any problems later.

Contributor of high-risk pregnancy

Some of the major contributors to high-risk pregnancy are:

  • Birth defects
  • Multiple gestations
  • Other factors

A high-risk pregnancy can be managed, and you must look for the best possible ways to prevent the same. Therefore, take prompt action under the expert supervision of the High Risk Pregnancy Doctors in Ludhiana. The doctor’s assistance will guide you towards the necessary steps and ensure all the complications are prevented on time.

How to prevent a high-risk pregnancy?

Here are some of the tips you should take to prevent chances of High Risk Pregnancy:

Tip 1: Medical assistance is the first step toward the right care

If you are thinking about trying to get pregnant, then consult a medical expert at the earliest. The gynae will thoroughly check your condition and ease your way to a smooth pregnancy. If there’s any condition that can be a complication, the doctor suggests the High Risk Pregnancy treatment for effective results. Health conditions like high blood pressure, heart disease, and diabetes contribute to health complications. So, it’s necessary to explore all the necessary options beforehand.

Tip 2: Be proactive and take necessary precautions

You need to be cautious to prevent chances of having complications. In case your previous pregnancy has been problematic, then take action accordingly. Make sure to inform your gynae about everything. By doing so, she will guide you toward the necessary treatment plan that prevents any major complications.

Tip 3: Check for chances of birth defects

You have to get tested for birth defects and genetic problems. The necessary test which you have to get is down syndrome through non-invasive testing. There are high chances that your baby will get the same. So, to limit the chances of the same, you need to be prompt in getting medical attention.

Tip 4: Don’t miss out on prenatal visits

It’s essential to be regular with your prenatal visits all the time. With regular monitoring the  complications and health concerns are reduced. In case there’s a problem, then you are asked to consult a specialist.

Tip 5: Live a lifestyle that benefits your well-being

Now, there’s no concern about the same. You must follow a proper health regime for a healthy and smooth pregnancy. In case you have gestational diabetes, then take necessary actions accordingly. No matter what sort of health concern you have, be prompt in seeking medical care.

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Pregnancy Shuchita Batra

Gynae Guide: Safe and smooth pregnancy with painless normal delivery

Inventive technique: Painless Normal Delivery

Are you expecting? Congratulations!

Indeed! Pregnancy is one of the most cherished and happy phases of a woman’s life. Experiencing the joy that her little one is growing inside her, and within the next nine months, she will meet the tiny little bean. That joy cannot be summed up in a few words. But, apart from that joy, most women think about what it will be like to go through labor pain and whether the process will go any smoother.

Well! All that is easily possible by getting assistance from one of the best gynae doctor in Ludhiana for proper assistance. The gynecologist will share the latest and most inventive treatment option available at present, i.e., Painless Normal Delivery.

Painless Normal Delivery: Safe and Beneficial

During painless normal delivery or labor analgesia (Epidural) delivery, the gynae doctor uses a specific drug concentration to limit labor pain. The drug aims to take down the labor pain and help the woman push the baby out of her body. If your pregnancy involves some risk, you need to consult the High-Risk Pregnancy Doctors in Ludhiana on, ‘How to plan for painless normal delivery?’

Do you know?

Most women describe labor pain as extreme menstrual cramps, a broken bone, and bad back pain. This is why more emphasis is given to increasing the count of painless normal delivery in Ludhiana. And try to reduce the chances of C-sections.

What happens during painless normal delivery?

The painless normal delivery includes a thin plastic tube and a needle to administer the drug. The epidural reduces contraction pain and makes it reach an acceptable level.

Benefits of painless normal delivery

Benefit 1: Reduces postpartum complications

The pain level decreases, and the mother can cherish the delivery time. Most importantly helps to make her feel relaxed and limit exhaustion and irritation.

Benefit 2: Don’t let blood pressure go higher

Most importantly, the blood pressure level doesn’t go higher as it’s known for, resulting in extremely dangerous situations.

Benefit 3: Keep muscles relaxed during delivery

The epidural allows the baby to come out from the body without causing much pain. Moreover, the vaginal and pelvic muscles get relaxed.

Benefit 4: Helps to deal with cardiac complications

Painless normal delivery has proven beneficial for mothers with an increased risk of getting cardiac complications. It’s the way the procedure works that brings a difference in undergoing the delivery.

Benefit 5: Best choice for women for are elderly

For women who are above 30 should get this option. It’s because the body pain-bearing level goes down with age. Therefore, the given approach works best to ensure the body won’t suffer that much pain during labor.

How long does the epidural effect last?

Once the baby is delivered, the catheter delivering epidural will be removed from the body. Ideally, the effect lasts for around 2 to 4 hours on a normal basis.

 

 

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Gastroenterologist Pregnancy

How does smoking affect women’s health and chances of safe pregnancy?

Smoking: One of the most troublesome situations for women’s health

In India, around 267 million adults over 15 consume tobacco daily. And by the time you are reading this, there might be someone involved in this deadly habit. Not just men but even women consume tobacco products and smoke. We all know ‘How smoking affects the overall well-being?’ and that’s not all; even reproductive health gets down. And this is why for a woman, it’s essential to seek immediate assistance from one of the known Gynecologist In Punjab.

As the present state keeps increasing, the stats of women going through smoking will see a considerable rise. It’s high time to understand how to follow better practices to reverse cigarette smoking. If you are trying to conceive or thinking about it, you need to consult one of the experienced Obstetrician Gynecologist In Ludhiana to inform you better about the situation. If you used to smoke in the past, tell your gynae about the same.

Smoking negatively affects the reproductive health of women

Different studies have concluded that smoking does take a toll on women’s reproductive health. In such cases, there is a problem getting pregnant on your own, and it might take a lot of tries. There’s a high possibility of women conceiving even if they used to smoke. Then What?

Women who get pregnant but smoke: What happens?

In this scenario, several things can happen:

  • Increased risk of premature rupture of membranes
  • Increased risk of placenta previa, which means:
  • Total obstruction
  • Partial obstruction

The obstruction happens in the cervix opening by the Placenta.

  • Increased chances of bleeding: Between the area of the uterine wall & Placenta. It leads to an increased case of an emergency.
  • Higher chances of preterm delivery

The women who smoke and have a child might not have an average birth weight. Moreover, the risk of stillbirth and perinatal mortality is higher than the typical cases.

Can smoking affect breastfeeding?

YES! Smoking can affect breastfeeding. The problem can result in the form of:

  • Milk quantity decline
  • Milk quality reduces

If you take oral contraceptives, you are at higher risk of coronary artery disease. And the given state is even higher among women who smoke. The women in this state should not smoke at all; otherwise, there will be an issue.

Did you know?

Smoking also makes the menstrual cycle extremely painful. Moreover, have higher chances of going through:

  • Frequent menopause symptoms
  • Severe menopause symptoms

That’s not all. Women who smoke have higher chances of experiencing menopause at least two years early than women who don’t smoke.

What should I do to stop smoking?

Some of the fruitful ways to stop smoking are:

  • Do not smoke from the start of 1st trimester of pregnancy as it helps to improve the infant’s weight.
  • If you cut down on smoking habits for at least 1 to 2 years, the chances of artery disease are reduced by at least 20% to 25%.
  • Reduced chances of paralysis and stroke

Final word!   

Smoking affects the overall well-being by increasing the chances of getting different health issues like paralysis, stroke, myocardial infarction, and other problems. Stop smoking, and you will feel a lot healthier yourself. Schedule an initial consultation at Ludhiana Gastro & Gynae Centre to begin your pregnancy journey safely.

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Gynecologist Pregnancy Shuchita Batra

Gynecologist enlist in detailed pregnancy diet plan for every month

There’s nothing more significant and better than a mother’s love!

For every woman, the joy of becoming pregnant is challenging to summarize in words. Even the thought: A Tiny bean growing inside her is one of the most elevating experiences. When the pregnancy journey starts, along with the excitement comes nervousness to ensure everything goes smoothly. On this journey, your Gynecologist In Punjab is with you to assist in every way possible.

Most importantly, the pregnant woman’s concern is to have a proper diet plan. Every month the baby is growing, and to ensure the baby & the body gets all necessary nourishment, you need a diet plan. Under the expertise of an Obstetrician Gynecologist In Punjab, you get enlightened on what to eat in a specific month.

Diet-Chart: Necessary nourishment required for pregnancy

The first month of pregnancy

Embryo growth – One of the vital steps in 1st month of pregnancy. Include healthy snacks in your diet enriched with carbohydrates. As morning sickness is common, make sure to have smaller meals throughout the day. However, it would help if you increased the food-frequency. Have food that is easy to digest. Include food enriched with Vitamin B6 and folate-rich.

During 1st month of pregnancy, don’t have the following in your diet chart:

  • Fried food
  • Spicy food
  • High-fat food

The second month of pregnancy

Now, your little bean is the size of a kidney bean. To counter nausea, have ginger. Also, include enough Vitamin E in your diet. Also, include the following food options:

  • Olive oil
  • Raw almond
  • Sunflower seeds
  • Egg yolk
  • Hazelnut

The third month of pregnancy

By 3rd month, the baby is the size of a pea pod (Imagine!). Make sure to follow the above diet plan even in the 3rd month. Additionally, increase the water intake to at least ten glasses every day to keep your baby hydrated. Also, have enough fresh fruits and vegetables.

Did you know?

By the end of 3rd month, the baby is formed with hands, arms, fingers, feet, and toes. The baby can close and open its hands.

Fourth month of pregnancy

In the 4th month, the baby is around 140 gram. Your body and baby need enough iron and protein at this point. If you eat non-vegetarian food, include egg and free-range meat in the diet chart. Have enough of the following:

  • Iron-rich food
  • Legumes

Most importantly, make Vitamin C your best friend.

The fifth month of pregnancy

You are halfway there!

By the 5th month, the baby is around 10.5 inches long. Now, there is no way that you can miss out on:

  • Almonds
  • Green leafy vegetables
  • Broccoli
  • Oranges
  • Tomatoes

The sixth month of pregnancy

You can feel your baby kicking!

And your baby weighs around 660g. Your appetite increases, but it comes with constipation problems. It would help if you had the following:

  • Vegetables
  • Whole grains
  • Legumes
  • Fruit

The seventh month of pregnancy

Your baby is growing at this point. In the 7th month, it’s normal to have heartburn. Please don’t have fried, spicy, or high-fat food (you need to stop it right away from 1st month of pregnancy). At this point, include protein-rich food.

The eighth month of pregnancy

Your baby is now 2.4 kg. Now, it’s common to have back pain and frequent urination. Moreover, the sleep cycle gets distributed, and you feel out of breath. Increase intake of omega-three fatty acids. Also include:

Nuts & seeds

Flax seeds

Oily fish like salmon

The ninth month of pregnancy

Your baby is around 3.4 Kg. Garlic and date intake is beneficial at this point. Also, include dried raisins in your diet chart every day.

We wish that your nine months of pregnancy are blissful. If you are concerned about breastfeeding time, then you should talk to the doctor about the natural supplements to improve lactation that are safe for both mother and baby.

Pregnancy Diet Chart Food Option

Pre-breakfast snacks during Pregnancy

  • Cow’s milk Or Almond milk
  • Tomato juice
  • Dry fruits
  • Milkshake (your favorite fruits)
  • Apple juice

Breakfast ideas during pregnancy

  • Different fruits
  • Oats porridge
  • Vegetable omelet
  • Mixed bean cutlet or patties
  • Poha with lots of vegetables
  • Rice sevai with lots of vegetables
  • Wheat Rava up with lots of vegetables
  • Whole wheat toast with butter and omelet
  • Cheese toast or cheese and vegetable sandwich
  • Some fruits like apricots, dates, sweet figs, bananas, and oranges
  • Parathas with fillings of beans, cottage cheese, spinach, dal, potatoes, carrots, cheese with curd

Mid-morning snack ideas during pregnancy

  • Tomato soup
  • Spinach soup
  • Creamy spinach soup
  • Carrot and beetroot soup

*Prefer homemade soup 

Lunch ideas during pregnancy

  • Curd rice
  • Chicken curry with rice
  • Grilled chicken with curd
  • Rice, dal, mint raita, and a fruit
  • Kofta curry with rice
  • Roti with a choice of dal, vegetables and a bowl of curd
  • Paratha with dal and curd
  • Carrot and peas paratha with curd or butter
  • Rice, dal, and vegetable with a vegetable salad
  • Lemon rice with peas and some vegetable salad
  • Vegetable khichdi
  • Chicken salad with lots of fresh vegetables or vegetable soup
  • Parantha with sprouted beans salad
  • Cottage cheese parantha with butter and vegetable salad

Evening snack ideas for pregnancy

  • Cheese and corn sandwich
  • Spinach and tomato idli
  • Carrot halwa
  • Cauliflower and peas samosa
  • Bread cutlet
  • Chicken cutlet
  • Chicken sandwich
  • Vegetable idli
  • Seviyan with lots of vegetables
  • Fruit smoothie with fresh fruits 

Dinner ideas for pregnancy

  • Rice, dal, spinach vegetable, and green salad
  • Roti, dal, a vegetable of choice, and a glass of buttermilk
  • Mixed dal khichdi with a vegetable curry and a bowl of curd
  • Vegetable pulao or chicken rice with a bowl of yogurt
  • Plain paratha & buttermilk