बवासीर को पाइल्स और हेमोरॉयड के नाम से भी जाना जाता है | यह एक ऐसी बीमारी है, जो हर वर्ग के लोगों को नकारत्मक रूप से प्रभावित कर सकती है | दरअसल बवासीर में गुदा के अंदर और बाहरी भाग में और मलाशय के निचले हिस्से में सूजन उत्पन्न हो जाती है | जिसकी वजह से उस हिस्से में मस्से बनने लग जाते है | यह मस्से कभी अंदर की तरफ चले जाते है और कभी बाहर की तरफ आ जाते है | बवासीर 60 प्रतिशत व्यक्ति को किसी न किसी उम्र में प्रभावित ज़रूर करता है | इसलिए बवासीर से पीड़ित व्यक्ति के लिए यह ज़रूरी है कि समय रहते वह अपनी स्थिति का इलाज ज़रूर करवाएं | इलाज के लिए आप पंजाब के बेहतरीन हॉस्पिटल में से एक, एमेरिटस हॉस्पिटल से परामर्श कर सकते है |
दरअसल बवासीर के कारण गुदा क्षेत्र में मौजूद टिश्यू का आकार काफी बड़ा हो जाता है और सूजन वाले गुच्छे बनने लग जाते है | अब अगर बात के इसके प्रकार की तो बवासीर दो प्रकार से होते है पहला है आंतरिक और दूसरा है बाहरी, इस दोनों बवासीर का आकार एक दूसरे से बिलकुल विभिन्न होता है | सबसे प्रचलित प्रकार के बवासीर होता है आंतरिक बवासीर, जिसे गुदा के छेद से 2 से 4 सेमी ऊपर देखे जा सकते है, इसके विपरीत जो बवासीर गुदा के बाहर की ओर विकसित होता है, उसे बाहरी बवसीर कहा जाता है | आइये जानते है बवासीर के मुख्य लक्षण और कारण क्या है ?
बवासीर के मुख्य लक्षण
बवासीर से पीड़ित व्यक्ति को निम्नलिखित लक्षण होने काआभास हो सकता है :-
- गूदे के आसपास एक सख्त और दर्दनाक गांठ होने की महसूस होना, जिसमें ब्लड क्लॉट्स यानी रक्तस्राव होने लग जाते है | खून से भरे बवासीर को थ्रोम्बोस्ड बाहरी बवासीर के नाम से भी जाना जाता है |
- मल त्यागने के दौरान मल के साथ लाल चमकीला खून का दिखाई देना |
- गूदे के आसपास वाले क्षेत्र में तीव्र दर्द होने का महसूस होना, लालिमा और लगातार खुजली होना | इससे पीड़ित व्यक्ति को मल त्यागने के दौरान ऐसा अनुभव हो सकता है की उसकी आंतें अभी भी भरी हुई हो |
- मल त्यागने के दौरान दर्द का अनुभव होना आदि शामिल है |
बवासीर होने के मुख्य कारण
विभिन्न कारकों के चलते गूदे में सूजन की समस्या उत्पन्न हो जाती है, जिसे बवासीर का निर्माण हो जाता है, इसके अलावा:-
- बढ़ती उम्र के साथ-साथ गुदा नलिका भी काफी कमज़ोर हो जाती है, जिसकी वजह से बवासीर होने की संभावना बढ़ जाती है |
- गर्भावस्था के दौरान भी महिलाओं को बवासीर हो सकता है, ऐसा इसलिए क्योंकि गर्भावस्था के दौरान आपके पेट में काफी दबाव पड़ने लग जाता है, जिसके परिणामस्वरू बवासीर उत्पन्न हो जाता है | आमतौर डिलीवरी के बाद इनमें काफी हद तक सुधार आने लग जाता है |
- यदि मल त्यागने के दौरान आपको ज़ोर लगाने की ज़रुरत पड़ती है, तो इससे भी बवासीर की समस्या उत्पन्न हो सकती है |
- वजनदार सामान को उठाने से आदि |
बवासीर का कैसे करें इलाज ?
आमतौर पर, बवासीर बिना किसी उपचार के खुद से ही ठीक हो जाता है, हालांकि इसके दर्द को कम करने के लिए कई विकल्प उपलब्ध होते है, जिसे अपनाने से दर्द से राहत मिल सकती है | जिनमें शामिल है :-
जीवनशैली में कुछ बदलाव करें :- बवासीर को नियंत्रित करने के लिए और इसे ठीक करने के लिए, डॉक्टर सबसे पहले कुछ ज़रूरी बदलाव करने का सुझाव देता है | इसके अलावा डॉक्टर पीड़ित व्यक्ति को अधिक से अधिक पानी पीने की सलाह देता है | बवासीर से बचने के लिए डॉक्टर व्यायाम करते समय और पेशाब करते समय जोर न लगाने की भी सलाह देते है |
दवाएं :- डॉक्टर द्वारा निर्धारित दवाओं का सही समय पर सेवन करने से आपको बवासीर के लक्षणों में प्रबंधन लगाने में मदद मिल सकती है |
सर्जरी :- यदि किसी भी व्यक्ति को बवासीर के कारण आंतरिक रक्तस्त्राव हो रहा है या फिर स्थिति गंभीर होती जा रही है तो ऐसे में आपको सर्जरी को करवाने की आवश्यकता पड़ सकती है |
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बवासीर कोई गंभीर बीमारी नहीं है, लेकिन यह स्थिति को दीर्घकालिक कर सकती है | इसलिए यदि आप में से कोई भी व्यक्ति बवासीर की समस्या से परेशान और स्थायी रूप से अपना इलाज करवाना चाहते है तो इसके लिए आप एमेरिटस हॉस्पिटल से परामर्श कर सकते है | इस संस्था में मौजूद सभी डॉक्टर पंजाब के बेहतरीन गैस्ट्रोएन्टेरोलॉजिस्ट और लैप्रोस्कोपी सर्जन में से एक है, जो पिछले 10 सालों से अपने पीड़ित मरीज़ों का सटीकता से इलाज कर रहे है | इसलिए आज ही एमेरिटस हॉस्पिटल की ऑफिसियल वेबसाइट पर जाएं और इलाज के लिए अपनी नियुक्ति को बुक करें | इसके अलावा आप वेबसाइट पर दिए गए नंबरों से सीधा संस्था से संपर्क कर सकता है |





