बच्चेदानी में रसौली की समस्या काफी गंभीर है अगर ये महिलाओं के गर्भ में बन जाए तो उन्हें काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है, संतान उत्पति के दौरान। बच्चेदानी में रसौली से जुड़े जितने भी प्रश्न है उसको हम आज के इस लेख में प्रस्तुत करेंगे इसलिए आर्टिकल को अंत तक जरूर पढ़े ;
बच्चेदानी में रसौली क्यों बनती है ?
इसके बारे में हम निम्न में बात करेंगे ;
- गर्भाशय में रसौली अर्थात् गर्भाशय फाइब्रॉइड की समस्या, आनुवांशिक भी हो सकती है। अगर परिवार में किसी महिला को ये बीमारी है तो ये पीढ़ी दर पीढ़ी आगे बढ़ सकती है। या फिर ये हार्मोन के स्त्राव में आए उतार-चढ़ाव की वजह से भी हो सकता है। बढ़ती उम्र, प्रेग्नेंसी, मोटापा भी इसका एक कारण हो सकते हैं।
बच्चेदानी में रसौली बनने के बाद संतान प्राप्ति में अगर ज्यादा दर्द का सामना करना पड़े तो आपको पेनलेस नार्मल डिलीवरी का चयन डॉक्टर के परामर्श पर कर लेना चाहिए।
बच्चेदानी में रसौली का बनना क्या है ?
- बच्चेदानी में रसौली एक गैर-कैंसरकारी ट्यूमर होता है। इसका असर फर्टिलिटी और कंसीव करने की संभावना पर भी पड़ सकता है। गर्भाशय में रसौली को यूट्राइन फाइब्रॉएड कहा जाता है।
- अगर बच्चेदानी में रसौली बन जाती है तो अंदर बन रहे बच्चे के लिए काफी परेशानी खड़ी हो जाती है।
बच्चेदानी में रसौली क्यों बनती है इसके बारे में जानने के लिए आप बेस्ट गायनोलॉजिस्ट से जरूर संपर्क करे।
क्या बच्चेदानी में रसौली के बाद महिलाएं प्रेग्नेंट हो सकती है ?
बच्चेदानी में रसौली होने पर भी महिलाएं नैचुरली कंसीव (प्रेग्नेंट) कर सकती हैं। तो वहीं हो सकता है कि इसमें कंसीव करने के लिए किसी ट्रीटमेंट की जरूरत न पड़े। कुछ मामलों में रसौली फर्टिलिटी को प्रभावित कर सकती है, जैसे कि सबम्यूकोसल फाइब्रॉएड। ये एक प्रकार की रसौली है जो यूट्राइन कैविटी के अंदर बढ़ती और फैलती है।
बच्चेदानी में रसौली के लक्षण क्या है ?
इसके लक्षण निम्न है ;
पेट के निचले हिस्से में बहुत अधिक दर्द होना और ब्लीडिंग अधिक होना। पेट के निचले हिस्से में भारीपन का लगना और इंटरकोर्स के वक्त दर्द होना। बार-बार यूरिन पास होना और वजाइना से बदबूदार डिस्चार्ज होना। हर समय वीकनेस रहना, पैरों में दर्द होना का बने रहना इसके प्रमुख लक्षणों में शामिल है।
बच्चेदानी में रसौली को ठीक करने का इलाज क्या है ?
इसके इलाज तो कुछ ज्यादा नहीं है पर जो भी है वो आपके सामने प्रस्तुत है;
- यदि घरेलु उपायों को इसके इलाज में आजमाना चाहते है तो आंवले का जूस रसौली दूर करने का सबसे अच्छा उपाय है. आंवला में एंटी ऑक्सीडेंट पाए जाते हैं। इसलिए रोजाना सुबह एक चम्मच आंवला के जूस में शहद डालकर खाली पेट पीने से आपको काफी फर्क नजर आएगा।
- अगर आप प्रेगनेंसी में बच्चेदानी में रसौली का इलाज बाहरी उपकरणों से करवाती है तो ये काफी सीमित है क्योंकि इससे भ्रूण को जोखिम रहता है। बच्चेदानी में रसौली के लक्षणों को नियंत्रित करने के लिए आराम, पानी पीने और हल्की दर्द निवारक दवाओं का सेवन करने की सलाह दी जा सकती है।
- बच्चेदानी में रसौली का कोई ज्यादा इलाज तो नहीं है क्युकि इस प्रक्रिया में ज्यादा ट्रीटमेंट का प्रयोग नहीं किया जाता है। इसलिए आपको इससे संबंधी कोई भी जानकारी हासिल करनी है तो लुधियाना गैस्ट्रो एन्ड गयने सेंटर का चुनाव जरूर से करें।
निष्कर्ष :
बच्चेदानी में रसौली की समस्या होने पर डॉक्टर के संपर्क में जरूर से जाए।